अयोध्या में 45 दिवसीय महा नारायण रुद्र, सहस्रचंडी महायज्ञ आरंभः 11 करोड़ दिव्य मंत्रों सहित पाठ से समृद्ध होगा
अयोध्या का अध्यात्म, 1200 वैदिक पाठ करेंगे, 59 कुंडों में हवन

आचार्य स्कंद दास
अयोध्या धाम l अयोध्या के कारसेवकपुरम में 45 दिवसीय महा नारायण रुद्र, सहस्रचंडी महायज्ञ आरंभ हो गया है। कामाक्षी अम्मा के आदेशानुसार, सनातन धर्म की रक्षा, विश्व शांति और कल्याण के लिए, पवित्र नगरी अयोध्या में आगामी 1 जनवरी तक लगातार 45 दिनों तक चलने वाला ऐतिहासिक “श्री महा नारायण दिव्य रुद्र सहित शत सहस्र चंडी विश्व शांति महायज्ञ” आरंभ हो गया है। महायज्ञ में 11 करोड़ दिव्य मंत्रों के जप सहित अनेक धर्मग्रंथों के पाठ से अयोध्या के अध्यात्म को समृद्ध किया जा रहा है। यह सब कुछ भव्य राम मंदिर के पहले तल पर रामदरबार की स्थापना के पूर्व किया जा रहा है। महायज्ञ मंडप में महा त्रिपुर सुंदरी के साथ महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की मूर्ति स्थापित महायज्ञ में 12 00 वैदिक रोज दो पालियों में सामूहिक पाठ कर रहे हैं।59 कुंडों में हवन हो रहा है जिसमें रोज 100 यजमान शामिल हो रहे हैं। इस महायज्ञ में रोज अयोध्या के संत-महंत शामिल होंगे। इसके लिए उन्हें आमंत्रित किया गया है। महायज्ञ स्थल पर एक लग राम दरबार की मूर्तियों का रोज पूजन हो रहा है।महायज्ञ मंडप में महा त्रिपुर सुंदरी के साथ महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की मूर्ति स्थापित की गई है। महायज्ञ का आरंभ 18 नवंबर से है। महायज्ञ का आरंभ 18 नवंबर से किया गया है। यह महायज्ञ, अयोध्या के ऐतिहासिक महत्व को और अधिक बढ़ाते हुए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट, अयोध्या, चिन्मयी सेवा ट्रस्ट, विजयनगरम, आंध्र प्रदेश की ओर से श्री कांची कामाक्षी अम्मा के दिव्य आदेश का पालन के क्रम में किया जा रहा है। महायज्ञ भगवान श्रीराम की पवित्र जन्मस्थली अयोध्या धाम में, श्री कांची कामाक्षी अम्मा के दिव्य आदेश के अनुसार आयोजित किया जा रहा है। इस महायज्ञ का उद्देश्य सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार, अयोध्या की पवित्रता और आध्यात्मिकता की पुनर्स्थापना। इस कलियुग में, नैतिक पतन, पर्यावरणीय संकट और सामाजिक समस्याओं के दौर में, इ ईश्वर की कृपा और चंडी अम्मा के के दिव्य दिव्य अ आशीर्वाद प्राप्त करने के उद्देश्य से यह महायज्ञ आयोजित किया जा रहा है। । इसका उद्देश्य मानव जीवन की समस्याओं को दूर करना, सामूहिक आध्यात्मिक संरक्षण और विश्व शांति की प्राप्ति है।प्रतिदिन 1200 ऋत्विक वेद मंत्रों का जाप करते हुए यज्ञ विधियों का संचालन करेंगे। हर दिन भक्तों के लिए अन्नदान का आयोजन होगा और इस कलियुग में, नैतिक पतन, पर्यावरणीय संकट और सामाजिक समस्याओं के दौर में, इ ईश्वर की कृपा और चंडी अम्मा के के दिव्य दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के उद्देश्य से यह महायज्ञ आयोजित किया जा रहा है। । इसका उद्देश्य मानव जीवन की समस्याओं को दूर करना, सामूहिक आध्यात्मिक संरक्षण और विश्व शांति की प्राप्ति है।