लंबित आख्या रिपोर्ट का चिन्हांकन न होने से अधिवक्ता परिवार आमरण अनशन पर
लोगों को इंसाफ दिलाने वाले अधिवक्ता खुद लगा रहे इंसाफ की गुहार
अशोक वर्मा, दैनिक बालाजी
बीकापुर, अयोध्या। स्थानीय तहसील प्रशासन के ढुलमुल रवैया तथा सौतेला व्यवहार से परेशान होकर एक अधिवक्ता का परिवार धरने पर बैठा है। वही अधिवक्ता जो लोगों को इंसाफ दिलाता है आज खुद इंसाफ की भीख मांग रहा है। एक बार यही अधिवक्ता का परिवार 2 सितंबर 2024 को उप जिला अधिकारी के कार्यालय के सामने धरने पर बैठा था। तब जाकर प्रशासनिक अधिकारी कुंभकर्णी नींद से जागे थे। और उप जिलाधिकारी ने आदेश दिया था कि संबंधित अधिकारी घटनास्थल पर जाकर इसकी पैमाइश करें और उसकी आंख्या रिपोर्ट दें मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रशासनिक अधिकारी का एक प्रतिनिधिमंडल घटनास्थल पर पहुंचा और उस विवादित रास्ते की पैमाइश की गई लेकिन उसका मूल्यांकन केवल कोरे कागज पर ही करके रफा दफा कर दिया गया। और उसकी आख्या रिपोर्ट का चिन्हाकन करने के बजाय पेंडिंग में छोड़ दिया गया। जो आज तक नहीं हुआ। फिलहाल इस विवादित रास्ते से लगभग एक दर्जन से ज्यादा लोगों का आना-जाना है। जिसको लेकर अधिवक्ता के परिजन बीकापुर कचहरी परिसर में मंगलवार को आमरण अनशन पर बैठा है। पीड़ित परिवारों के लोगों की मांग है की जो पैमाइश पिछले महीने की गई थी उसकी रिपोर्ट का चिन्हाकन किया जाना नितांत आवश्यक है। शासन प्रशासन की बात करें तो प्रदेश के मुखिया तहसील परिसर में लंबित वादों की समीक्षा करते हैं और चेतावनी देते हैं कि संबंधित विभाग के अधिकारी इसको गंभीरता से ले तथा 3 साल से लेकर 5 साल तक लंबित मामलों का निस्तारण करें। इधर देखो तो पैमाइश होने के बाद भी आख्या रिपोर्ट का चिन्हांकन नहीं किया जा रहा है, अधिकारी इतने मस्त है। विवादित रास्ते की पैमाइश हुए 4 महीने से ज्यादा हो गया। जबकि देखा जाए तो आख्या रिपोर्ट का चिन्ह्यांकन 30 दिन के अंदर हो जाना चाहिए। लेकिन करें कौन अधिकारी अपने एसी रूम से निकलना नहीं चाहते हैं उनको ठंड लगती है। आख्या रिपोर्ट के चिन्हांकन के लिए आमरण अनशन पर 65 वर्षीय बुजुर्ग भी बैठा हैं। लॉ एंड ऑर्डर तथा सब कुछ आल इज वेल है की दुहाई देने वाले शासन प्रशासन के रहनुमा पता नहीं कहां मस्त है। वही विपक्षीगण जो विवादित रास्ते पर अतिक्रमण किए हैं बालू गिट्टी गिराकर विपक्षी निर्माण करना चाहते हैं ऐसा आरोप अधिवक्ता परिवार का है। बीकापुर नगर पंचायत वार्ड नंबर 11 पराग पांडे का पुरवा में स्थित इस रास्ते से पुरखों के जमाने से आवागमन था जिसे विपक्षीगण बंद करने के प्रयास में लगे हैं। फिर हाल देखने वाली बात यह होगी प्रशासनिक अधिकारी जो कुंभ करणी नींद में सोए हैं कब जागते हैं। यह प्रदेश के मुखिया आए दिन बैठक करके केवल लंबित मामलों की समीक्षा करते रहेंगे। उक्त प्रकरण में तहसील प्रशासन पर सवालिया निशान लगा हुआ है कि इतने दिन बीत गए तहसील कर्मचारी क्या कर रहे थे। अधिवक्ता परिवार अनशन पर बैठे रहने से तहसील प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है।