हिन्दू राष्ट्र के बाद उठीं अब किसान राष्ट्र की मांग

प्रयागराज २४ दिसंबर
बीके यादव/बालजी दैनिक
भारत को किसान राष्ट्र घोषित करने की मांग
बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के हिंदू राष्ट्र। देवकी नंदन ठाकुर के सनातन बोर्ड के मांग के बाद अब उठी किसान राष्ट्र व किसान बोर्ड की मांग
विश्व के पहले किसान पीठाधीश्वर किसानाचार्य स्वामी शैलेन्द्र योगिराज सरकार ने मांग किया है कि किसी के लिए किसान कुछ भी हो लेकिन हमारे लिए भगवान व देवता से कम नहीं है। योगिराज सरकार ने कहा कि भारतवर्ष को किसान राष्ट्र घोषित किया जाए और किसान बोर्ड का गठन किया जाए। जिससे सब का पेट भरने वाले अन्नदाता किसान देवता को फसल का उचित दाम मिले जिससे आर्थिक स्थिति और मजबूत हो सके।
जब किसान राष्ट्र घोषित हो जाएगा तो किसानों के लिए प्रोटोकॉल बन जाएगा। तभी जाकर किसान का भला होगा और किसान मजबूत होगा। एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान को किसान सबसे प्रिय है क्योंकि हिन्दू राज्य तो कंस व रावण का भी था तब क्या हुआ था कंस और रावण के हिन्दू राज्य में सबको पता है और भगवान को जन्म लेना पड़ा इन दोनों के अत्याचार और पापाचार को खत्म करने के लिए। हमारा मानना है कि किसान राष्ट्र घोषित कर देने से समाज को एक किया जा सकता है नहीं तो इस प्रकार से तो इस देश का रहने वाला मुसलमान मुस्लिम राष्ट्र ईसाई ईसाई राष्ट्र की मांग करने लगेगा और अभी बफ्फ बोर्ड फिर सनातन बोर्ड फिर क्रिस्चियन बोर्ड और न जाने कितने बोर्ड की मांग उठने लगेंगी।इस लिए किसान राष्ट्र घोषित कर सभी विवाद पर विराम लगाया जा सकता है और सभी को एक सूत्र में बांधा जा सकता है। सिर्फ किसान ही एक ऐसा है जिसके माध्यम से सब एक हो सकतें हैं। और कोई दूसरा रास्ता नहीं है सभी को एक करने का।क्योंकि देश की 70 फीसदी आबादी गांव में बसती है। हमारा देश कृषि प्रधान देश है। भारत गांव में बसता है।
यह अन्नदाता किसान्न देवता जीव जंतु पशु पक्षी पेड़ पौधों मनुष्यों संत महात्माओं आदि का पेट भरता है।इतना ही नहीं बल्कि देवी देवताओं को चढ़ाने वाले प्रसाद भोजन सामग्री पीर पैगंबर गॉड आदि को प्रस्तुत करने वाली सामग्री भी किसान ही पैदा करता है। इसलिए किसान राष्ट्र घोषित होना चाहिए और किसान बोर्ड का गठन होना चाहिए। सोचो अगर किसान न होता तो धरती पर भगवान न होता। शास्त्रों में कहा गया है अन्नम ब्रह्म। अन्न ब्रह्म है। अन्न से रस, रस से रक्त, रक्त से मांस,मांस से मेद,मेद से हड्डी, हड्डी से मज्जा, मज्जा से वीर्य। और फिर मैथुनी प्रक्रिया से अब सृष्टि बढ़ रही है। कहने का मतलब यह है इस अन्न को अन्नदाता किसान पैदा करता है और वह सर्वोपरि है। शास्त्रों में तो यहां तक कहा गया है कि सतयुग में प्राण हड्डियों में रहते थे। त्रेतायुग में प्राण रक्त में रहते थे। द्वापरयुग में प्राण मांस में रहते थे।अब कलयुग में प्राण अन्न में रहते हैं। और अन्न को कौन पैदा करता है अन्नदाता किसान।और अन्न से ही जीवन का अस्तित्व बना रह सकता है। उसके बिना जीवन की कल्पना भी संभव नहीं है। अतः प्राण शक्ति संपन्न अन्न से ही जीवन का उद्गम और रक्षण होता है। अतः अन्न को ब्रह्म के रूप में कहा गया है। जिस प्रकार से पसवो न गाव:। गाय पशु नहीं है। गाय पशु होते हुए भी पशु नहीं है वह माता है। जिस प्रकार से गुरुर्रब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वर गुरुर साक्षात परम ब्रम्ह तस्मै श्री गुरुवे नमः। जैसे की गुरु मनुष्य होते हुए भी मनुष्य नहीं है। उन्हें भगवान का दर्जा दिया गया है। इसी प्रकार से किसान मनुष्य होते हुए भी मनुष्य नहीं है। वह अन्नदाता है किसान्न देवता है। किसान्न देवता द्वारा उपजाई हुई वस्तु ही सभी देवी देवताओं मसीहा पैगंबर दिगंबर आदि को चढ़ने वाली वस्तु जैसे मंदिर में लड्डू। दरगाह में चादर। चर्च में कैंडल केक आदि चढ़ाई जाती है।
सभी देवी देवताओं महापुरुषों गुरुओं के मंदिर दुनिया में है लेकिन अन्नदाता किसान देवता का मंदिर नहीं था।इसीलिए हमने विश्व का पहला किसान देवता का मंदिर उत्तर प्रदेश के पट्टी प्रतापगढ़ जिले में बनवाया। मैं चाहता हूं कि किसान देवता की गांव-गांव घर-घर पूजा अर्चना इबादत प्रेयर होनी चाहिए किसान की कोई जाति नहीं होती है किसान सभी जाति धर्म का होता है।वह हिंदू मुस्लिम सिख इसाई जैनिस्ट बौधिष्ट आदि सब में होता है। किसान का ही बेटा समस्त धर्म का धर्मगुरु धर्माचार्य राष्ट्रपति प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री नेता अभिनेता खिलाड़ी उद्योगपति पूंजीपति सिंगर डायरेक्टर प्रोड्यूसर वैज्ञानिक प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार बंधु आदि आईएएस पीसीएस डॉक्टर इंजीनियर जज आदि बनता है।हमारा देश ऋषि और कृषि प्रधान देश रहा है। किसानों का एक धर्म गुरु ऋषि योगिराज सरकार पुनः इस देश को कृषि प्रधान तथा किसान राष्ट्र की मांग कर रहा है। पहले कहा जाता था कि उत्तम खेती मध्यम बान। निकृष्ट चाकरी भीख निदान।किसानी सर्वोपरि है इसलिए इस देश को किसान राष्ट्र घोषित किया जाए और इस देश में किसान बोर्ड का गठन किया जाए। यह विश्व की पहली अन्नदाता पीठ है। किसान देवता और किसान देवी की प्रतीक पूजा स्थल मेला ग्राउंड पट्टी जिला प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश में है।
किसान राष्ट्र घोषित हो किसान बोर्ड का गठन हो। जैसे उद्योपतियों को उनकी उत्पादन का मूल्य मिलता है और उद्योगपति स्वयं अपने उत्पाद की कीमत तय करता हैं।
1 उसकी मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता है 2 ब्रम्ह सत्यं जगत मिथ्या। अर्थात ब्रम्ह ही सत्य है और जगत मित्था। ब्रम्ह सबके अंदर है।3 वह सब में है किसान में भी है आपमें भी है हममें भी है गुरु के अंदर भी है इसलिए तो गुरु को और अपने अपने धर्मों के धर्मगुरु धर्माचार्य को पूजते हैं। वह गाय मे भी है इसीलिए गाय को पूजते हैं। वह पीपल में भी है इसीलिए पीपल व नीम की भी पूजा करते हैं। वह अन्न में भी इसीलिए अन्न की पुजा करते हैं। वह पत्थर में भी है इसीलिए पत्थर की भी पूजा करते हैं। वह किसान देवता मे भी है इसीलिए हम किसान देवता की पूजा कर रहे हैं। वह किसान देवी में भी है इसीलिए हम किसान देवी की पूजा कर रहे हैं। इतनी सी बात है।
यह किसान पहले भी था आज भी है और कल भी रहेगा। हम रहें या न रहे।
हम किसान है हम सम्मान के हकदार हैं। इस देश में सबका अपना-अपना योगदान है किसी के योगदान को नकारना नहीं जा सकता है।
कहते हैं घूर के भी दिन बदले हैं।अब वह समय आ गया है। अब किसान के भी दिन बदलेंगे। किसान राष्ट्र घोषित होगा।किसान बोर्ड का गठन होगा। और किसान भी अपनी फसल का मूल्य तय करेंगा।मै देवी देवताओं व तीर्थस्थलों व महापुरुषों के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर शक्ति इकठ्ठा कर रहा हूं। किसान राष्ट्र घोषित हो व किसान बोर्ड का गठन हो की मांग करता हूं। किसी के लिए किसान चाहें कुछ भी हो लेकिन हमारे लिए भगवान व देवता से कम नहीं है।