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Alcoholic Wife: पत्नी का शराब पीना क्रूरता नहीं – हाईकोर्ट

ब्यूरो रिपोर्ट, 18 जनवरी: Alcoholic Wife: शराब खराब है इसका सेवन ज़िंदगी से खुशियां छीन लेता है। आप इस बात को तो अक्सर सुनते ही होंगे लेकिन अब एक अलग खबर आपको बताते हैं और वो ये हैं कि अगर कोई पत्नी शराब पीती है तो इसका मतलब यह नहीं कि वह क्रूर है। क्रूरता तबतक नहीं माना जाएगा जबतक वह असभ्य व्यवहार न करे। आप सोच रहे होंगे कि ये हम  हैं तो बता दें कि तलाक के एक महत्वपूर्ण फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि केवल इसलिए कि पत्नी शराब पीती है, क्रूरता नहीं मानी जाती।

पत्नी का शराब पीना क्रूरता नहीं

हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच ने कहा कि शराब पीना अपने आप में क्रूरता नहीं मानी जाती जब तक पीने के बाद अनुचित और असभ्य व्यवहार न किया जाए। हालांकि,मध्यम वर्गीय समाज में शराब पीना अभी भी वर्जित है और संस्कृति का हिस्सा नहीं है,फिर भी रिकॉर्ड पर कोई दलील नहीं है जो यह दिखाए कि शराब पीने से पति/अपीलकर्ता के साथ क्रूरता कैसे हुई।

Alcoholic Wife
Alcoholic Wife

अब जानिए क्या है पूरा मामला ?

दरअसल, एक व्यक्ति ने अपने पत्नी से तलाक के लिए फैमिली कोर्ट में अर्जी दी थी। दंपत्ति का विवाद 2015 में हुआ था। लेकिन कोर्ट को अपीलकर्ता पति ने बताया कि शादी के बाद पत्नी के व्यवहार में काफी बदलाव आ गया। पति ने बताया कि उसकी पत्नी ने उसे अपने माता-पिता को छोड़कर कोलकाता जाने को मजबूर करने की कोशिश की लेकिन वह उसकी बात को नहीं माने। जब वह नहीं गए तो उनकी पत्नी बेटे को लेकर कोलकाता चली गई। पति लगातार मनुहार करता रहा लेकिन वह वापस नहीं लौटी।पति ने पत्नी के आने से इनकार करने के बाद तलाक की याचिका दायर की। फैमिली कोर्ट में उसने तलाक की याचिका दायर की। लेकिन फैमिली कोर्ट ने तलाक की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट को पत्नी पर लगे क्रूरता के आरोप साबित नहीं हुए।

फैमिली कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती

फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। लखनऊ बेंच ने कहा कि पत्नी के व्यवहार में पतिवर्तन साबित करने की कोई बात साबित नहीं हुई। शराब पीना क्रूरता नहीं माना जा सकता। गर्भावस्था के दौरान शराब पीने के आरोप साबित नहीं हुए क्योंकि बच्चे में कमजोरी या कोई अन्य हेल्थ इशूज के लक्षण नहीं है। लेकिन कोर्ट ने माना कि पत्नी ने जानबूझकर पति की उपेक्षा की। यह हिंदू विवाद अधिनियम की धारा 13 के तहत परित्याग हुआ। कोर्ट ने माना कि परित्याग की वजह से पति तलाक ले सकता है। इसलिए कोर्ट तलाक की मंजूरी देता है।

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