सनातन की सुरक्षा के लिए सभी सनातनियों को एक जुट होना होगा।- देवकीनंदन ठाकुर
![](https://i0.wp.com/www.baljinews.com/wp-content/uploads/2024/09/a3ce8f4b-9c4c-4926-9ef2-4a40701376fc_prev_ui.png?resize=560%2C445&ssl=1)
महाकुंभ नगर १० फरवरी
बीके यादव/बालजी दैनिक
महाकुंभ में देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के सानिध्य में 11 लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण एवं श्री शिवमहापुराण कथा – 6 फरवरी से 12 फरवरी 2025 तक किया जा रहा है। आज पंचम दिवस पर 2 लाख 11 हजार पार्थिव शिवलिंग निर्माण, पूजा- अर्चना एवं अभिषेक का भव्य आयोजन किया गया।
सोमवार को कथा में साध्वी आर्या पंडित जी ने शामिल होकर व्यासपीठ का आशीर्वाद प्राप्त किया एवं कथा पंडाल में उपस्तिथ भक्तों को संबोधित किया।
पूज्य महाराज श्री ने मुंबई खारघर में एक सनातनी शिव कुमार शर्मा की हुई हत्या पर दुख व्यक्त किया। महाराज श्री ने महाराष्ट्र सरकार से निवेदन किया है कि आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए।
महाराज श्री ने कहा कि सनातन की सुरक्षा के लिए सभी सनातनियों को एक जुट होना होगा। हमारा प्रयास केवल सनातन को सुरक्षित करना है और हमें कुछ नहीं चाहिए। अपने आने वाली पीढ़ी को बचाने के लिए हमे आवाज उठानी होगी।
विवाह जीवन का एक अत्यंत शुभ और पवित्र अवसर होता है, इसे एक विशेष दिन और समय पर ही संपन्न होना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, रात्रि में विवाह का आयोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि रात्रि का समय नकारात्मक ऊर्जा से जुड़ा होता है, जो जीवन के नए अध्याय की शुरुआत के लिए उपयुक्त नहीं होता। विवाह का आयोजन दिन के समय में शुभ मुहूर्त में किया जाना चाहिए ताकि विवाह जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का संचार हो।
हमें अपने बड़ों और छोटे लोगों के बीच हमेशा सम्मान और मर्यादा बनाए रखनी चाहिए। बड़े हमारे मार्गदर्शक होते हैं, जिनसे हमें जीवन की महत्वपूर्ण शिक्षा मिलती है, जबकि छोटे हमारे आने वाले कल का प्रतीक होते हैं, जिनसे हमें स्नेह और देखभाल की आवश्यकता होती है। मर्यादा हमें मानवीय संबंधों में सामंजस्य बनाए रखने और हर व्यक्ति को उसका उचित स्थान देने में मदद करती है।
ध्यान और चिंतन में अत्यधिक शक्ति होती है। जब हम अपने मन को एकाग्र कर ध्यान में लगाते हैं, तो यह न केवल मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि हमें जीवन के गहरे अर्थ और उद्देश्य को समझने में भी मदद करता है। चिंतन, यानी गहरे विचार और आत्ममंथन, हमें हमारे विचारों, कर्मों और निर्णयों पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर देता है।