उत्तर प्रदेशप्रयागराज

अमावस्या की रात्रि ही कालरात्रि है अतः 31 अक्टूबर को ही दीपावली पर्व संपूर्ण देश में मनाना चाहिए – प्राे० गिरिजा शंकर

प्रयागराज:-24.10.2024

बीके यादव/ बालजी दैनिक

(सम्मेलन में विद्वानों ने बताया कि 1 नवम्बर काे शुद्ध प्रदाेष नहीं है इसलिए दीपावली 31 अक्टूबर काे ही मनाई जानी चाहिए)

नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय के शोध केंद्र में संस्कृत (ज्योतिष कर्मकांड वास्तु शास्त्र) विभाग द्वारा एक दिवसीय अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन “दीपावली मनाने पर खगोलीय ज्योतिष एवं पौराणिक दृष्टिकोण” पर आयोजित किया गया। दीपावली के संकल्प संघर्ष का अवसर 31 अक्टूबर से 1 नवंबर 2024 के बारे में अकादमी चर्चा कर समाधान सुझाने के लिए यह आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बाेले हुए प्रो० गिरजा शंकर शास्त्री मुखोपाध्याय ने कहा कि अमावस्या की रात्रि ही कालरात्रि है अतः 31 अक्टूबर को ही दीपावली पर्व संपूर्ण देश में मनाना चाहिए। साथ ही इन्होंने कहा कि रोहिणी नक्षत्र नहीं मिलता तब भी कृष्ण जन्माष्टमी मानते हैं वैसे ही स्वाति नक्षत्र नहीं मिल पा रही है तब भी दीपावली उसी दिन मनाना चाहिए । उन्होंने त्री मुहूर्त के बारे में बताया और कहा कि भ्रम के कारण इस बार दिवाली पंचपर्व नहीं षट् पर्व हो गई है। बीएचयू के प्रो० भगवत शरण शुक्ल ने दीपावली को चारों पर्वों में सर्वोच्च महत्व का पर्व बताया कहा कि प्रदोष का सही क्रम होगा तभी दीपदान होगा। विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ० एस०सी० तिवारी ने विज्ञान और ज्याेतिष से तुलनात्मक चर्चा करते हुए इन विषयाें पर शोध पर बल दिया। इग्नू के डॉ० देवनारायण पाठक ने दिवाली को 31 अक्टूबर को मनाये जाने पर प्रमाण सहित चर्चा करते हुए कहा कि अर्धरात्रि को आश्रय लेने के लिए लक्ष्मी का आगमन होता है इसलिए दिवाली पर घर और आंगन को स्वच्छ रखना चाहिए। प्राे० सुभाष पांडे ने फेसबुक व सोशल मीडिया पर बिना प्रमाण के दिवाली तिथि पर भ्रम फैलाने वाला बताया साथ ही कहा कि पूरे भारत का एक ही पंचांग होना चाहिए जिससे भ्रम की स्थिति दूर हो सके। आचार्य डॉ राजेश ओझा ने भी अनेक भ्रांतियाें की चर्चा की तथा इसका समाधान विद्वानों से ही सुलझाने पर बल दिया। कार्यक्रम का संयोजन प्रोफेसर बृजेंद्र मिश्रा ने तथा संचालन डॉ० हिमांशु शेखर सिंह ने किया धन्यवाद ज्ञापन कुल सचिव श्री आर०एल० विश्वकर्मा ने किया इस अवसर पर डॉ० आदिनाथ, डॉ० रमेश चंद्र मिश्रा, डॉ० प्रमाेद मिश्रा, डॉ० पूजा तिवारी, डॉ० नीलम शर्मा, डॉ० आलाेक त्रिपाठी, डॉ० सीएम गाैतम सहित बड़ी संख्या में शिक्षक एवं छात्र शामिल रहे।

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