उत्तर प्रदेशसीतापुर

अब्यवस्थाओं का शिकार प्राचीन चित्रकूट आश्रम परिक्रमा पथ की भी हालत खस्ता

सीतापुर राकेश पाण्डेय। फरवरी मार्च माह में सतयुग कालीन महर्षि दधीचि की स्मृतियों का संस्मरण कराता हुआ प्रति वर्ष फाल्गुन मास में परम्परागत रुप से यहां होने वाला विश्व विख्यात चौरासी कोसीय धार्मिक होली परिक्रमा मेला शुरू होने में चन्द दिनों का समय अवशेष हैं,प्रशासन द्वारा घोषित कार्यक्रम के अनुसार आगामी एक मार्च अमावस्या से पन्द्रह दिवसीय धार्मिक परिक्रमा नैमिषारण्य के चक्र तीर्थ में स्नानोपरान्त सन्त,महन्तों मठाधीशों पीठाधीशों,नागा साधुओं दण्डी साधुओं की अगुवाई में देश विदेश से आने वाले भारी संख्या में श्रृद्धालु नरनारियों द्वारा हाथी घोड़ा,पालकी चौपहिया वाहनों पर सवार होकर और पैदल रामाधुनि के जयकारों के साथ शुरू कर दिया जायेगा।इसका पहला पड़ाव भगवान द्वारिकाधीश आश्रम मन्दिर कोरौना है फिर इस जनपद और गैर जनपद के दस बाहरी पड़ावों का भ्रमण तथा रैन बसेरा करता हुआ मिश्रित तीर्थ नगर में आ जायेगा।जहां पांच दिनों पूर्णिमा तिथि होलिका दहन तक दधीचि कुण्ड तीर्थ/मन्दिर की निरन्तर पंच कोशीय परिक्रमा भारी संख्या में धर्मावलम्बी नर नारियों द्वारा की जायेगी। मेला प्रशासन की लचर व्यवस्थाओं के चलते अबकी बार भी परिक्रमार्थियों को बदहाल और ककटाकीर्ण रास्तों से गुजरना पड़ेगा। ग्राम पंचायत भिठौली में स्थित प्राचीन चित्रकूट आश्रम पूरी तरह से अब्यवस्थाओं का शिकार बना हुआ है जबकि इसकी यह मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने अपनी धर्मपत्नी माता सीता और भ्राता लक्ष्मण के साथ अपने चौदह वर्षीय वनवास काल के दौरान यहां कुछ समय तक निवास किया था।
इस प्राचीन आश्रम पर दसियों हजार की संख्या में परिक्रमार्थी प्रतिवर्ष होने वाले चौरासी कोसीय धार्मिक परिक्रमा के दौरान अपना पड़ाव डाल कर रैन बसेरा करते हैं और पूजन- अर्चन- दर्शन करते हुये मिश्रित तीर्थ नगर के पांच दिवसीय पड़ाव पर आ जाते है जहां दधीचि कुण्ड तीर्थ/मन्दिर की पांच दिनों तक निरन्तर पंच कोसीय परिक्रमा होती है।
यह भी बताते चलें कि चित्रकूट आश्रम/मन्दिर के निकट क्षेत्रीय ग्राम पंचायत भिठौली द्वारा बीते समयान्तराल में अमृत सरोवर तालाब का भी निर्माण कराया गया था जो वर्तमान में सूखा पड़ा है, जिम्मेदारों ने इसकी भी साफ सफाई और जल भराव तक नहीं कराया है वहीं मन्दिर की मरम्मत/ रंगाई पुताई भी नहीं कराई गयी है।इस आश्रम/मन्दिर परिसर में स्थित शौचालय भी जहां गन्दगी की चपेट में है वहीं यहां लगे दो इण्डिया मार्का नल दासियों हजार परिक्रमार्थियों की प्यास बुझाने के लिये पर्याप्त प्रतीत नहीं हो रहे हैं पथरीला और उबड़-खाबड़ मार्ग भी अतिक्रमण व अवैध कब्जों का शिकार है।
मिश्रित ब्लॉक और तहसील अन्तर्गत पड़ने वाले चित्रकूट आश्रम व नौवाखेड़ा गांव के मध्य पड़ने वाले जंगल में परिक्रमा मार्ग कच्चा व पथरीला है मार्ग पर कटीली झाड़ियां बबुरी आदि के पेड़ खड़े है जिसकी अभी तक साफ सफाई की भी समुचित व्यवस्था जिम्मेदारों ने नहीं कराई है जब कि धार्मिक परिक्रमा यहां आने में चन्द दिनों का ही समय अवशेष हैं।
नौवाखेड़ा गांव से सुर्जपुर गांव तक मार्ग पर अतिक्रमण के साथ ही अवैध कब्जे भी विद्यमान हैं बता दें कि नौवाखेड़ा गांव से सुर्जपुर गांव तक ग्रामीणों द्वारा गोबर घूरा डालकर परिक्रमा पथ के दोनों किनारों पर अतिक्रमण किया गया है मार्ग के दोनो तरफ की जमीन गड्ढायुक्त है, झाड़-झंखाड़ भी खड़ी है जिसकी साफ सफाई कराने की व्यवस्था भी जिम्मेदारों द्वारा शुरू नहीं कराई गयी है।
इस बाबत प्रधान प्रतिनिधि राजन मिश्रा से बात की गई तो उनका कहना है कि लोक निर्माण विभाग का कार्य बहुत ही धीमी गति से चल रहा है जिससे यहां परिक्रमा पड़ाव मेला आने तक सड़क निर्माण का हो पाना सम्भव नहीं दिख पा रहा है उनका कहना है कि अगर समय पर सड़क न बन पाने की स्थिति हो तो कम से कम दोनो ओर की झाड़ झंखाड़ हटवा कर सफाई कराते हुये अगर मिट्टी पटान ही करा दिया जाये तो दसियों हजार परिक्रमार्थियों को परिक्रमा करने के दौरान कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
प्रधान प्रतिनिधि का कहना है कि प्रशासन इस ओर से उदासीन बना हुआ है जिस ओर जिला प्रशासन को संज्ञान लेकर कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि परिक्रमार्थियों को समस्याओं का सामना न करना पड़े।

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