उत्तर प्रदेशसीतापुर

आंगनबाड़ी भर्ती घोटाला: सीतापुर में न्याय की गुहार, भ्रष्ट तंत्र के विरुद्ध उठी आवाज़

ब्यूरो रिपोर्ट अनूप पाण्डेय

सीतापुर। जिले में आंगनबाड़ी भर्ती प्रक्रिया हुए व्यापक भ्रष्टाचार को लेकर समाजसेवी पुष्पेंद्र सिंह ने सैकड़ो महिला अभ्यर्थियों के साथ जिला अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। आंगनबाड़ी भर्ती घोटाला लगातार सुर्खियों में बना हुआ है एक बार फिर से प्रश्नचिह्न खड़े हो गए हैं। जिले के कसमंडा, सिधौली, गोंदलामऊ, मिश्रिख, खैराबाद, हरगांव, मछरेहटा, रेउसा, बेहटा, ऐलिया, महमूदाबाद, लहरपुर, परसेण्डी, महोली, बिसवां, पिसावां सहित अन्य सभी विकास खण्डों में प्रस्तावित 537 आंगनबाड़ी पदों पर चयन प्रक्रिया में भारी धांधली और भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आई हैं। आवेदिकाओं के अनुसार सीडीपीओ कार्यालयों के कर्मचारी, बाबू और सुपरवाइजरों ने खुलेआम रिश्वत लेकर अभ्यर्थियों का चयन किया। यह घोटाला केवल ब्लॉक स्तर पर नहीं, बल्कि डीपीओ कार्यालय तक फैला हुआ बताया जा रहा है। सिधौली और कसमंडा ब्लॉकों में लाखों रुपये की अवैध वसूली के आरोप लगे हैं। सूत्रों की मानें तो पूरे जिले में यह भ्रष्टाचार करीब 15 करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है। स्पष्ट प्रमाण और चौंकाने वाले मामले कॉल रिकॉर्डिंग प्रकरण: अभ्यर्थी शीला रावत से ₹3 लाख की रिश्वत मांगने की कॉल रिकॉर्डिंग सामने आई है, जिसमें कार्यालय बाबू पूनम द्विवेदी और सुपरवाइजर निधि चौरसिया की बातचीत है। यह रिकॉर्डिंग सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है ।फर्जी दस्तावेज: एक अविवाहित अभ्यर्थी को विधवा दर्शाकर नियुक्ति दी गई। विभागीय अधिकारी इस फर्जीवाड़े पर लीपापोती करने में लगे रहे। गैर-पात्र का चयन: आवेदिका को नियुक्त किया गया, जबकि उनके पति प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक हैं – जोकि नियमों के विरुद्ध है। फर्जी मेरिट लिस्ट और बार-बार बदलाव: रिश्वत न देने वाले योग्य अभ्यर्थियों को कम अंक देकर पीछे रखा गया। प्रभावशाली लोगों के दबाव में चयन सूची बार-बार बदली गई। धमकियां और मनमानी: कुछ आवेदिकाओं को यह कहकर डराया गया कि “भर्ती से लेकर रिटायरमेंट तक केस चलते हैं, लेकिन रिश्वत देने वालों का ही चयन होता है भर्ती प्रक्रिया की उच्च स्तरीय, निष्पक्ष जांच: लोकायुक्त, सतर्कता आयोग या सीबीआई द्वारा, RTI के तहत भर्ती से जुड़े सभी दस्तावेज सार्वजनिक किए जाएं, दोषियों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई हो, भर्ती प्रक्रिया को दोबारा पारदर्शिता से संचालित किया जाए, फर्जी बीपीएल प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र आदि की जांच हो, हाईस्कूल और इंटरमीडिएट को ही न्यूनतम शैक्षिक योग्यता माना जाए।, आईजीआरएस पोर्टल की शिकायतों की पारदर्शी जांच हो। समाजसेवी पुष्पेंद्र सिंह ने ऐलान किया है समय रहते कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो आवेदिकाओं ने आगामी ,17 अप्रैल 2025 से सीतापुर जिला मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन सत्याग्रह शुरू करने की चेतावनी दी है। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह अत्यंत चिंताजनक है कि गरीब, मेहनती और योग्य अभ्यर्थियों को उनके हक से वंचित कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह घोटाला सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि नैतिकता और समाज के प्रति जवाबदेही का भी संकट है। शासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि दोषियों को संरक्षण नहीं, बल्कि दण्ड मिले। अन्यथा यह मामला जनआंदोलन और न्यायालय की चौखट तक पहुँचना तय है।

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