उत्तर प्रदेशगोण्डा

ढाई माह माह बाद भी सूचनाऐं ना मिलने से राज्य सूचना आयोग में लगाई गुहार

अनिल कुमार द्विवेदी
बी न्यूज दैनिक

गोंडा। जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना उपलब्ध कराने के लिए सूचना आयोग व सरकार द्वारा भले ही तीस दिनों की समय सीमा तय कर वांछित सूचनाएं आवेदक को उपलब्ध कराने के संबंध में समय समय पर आदेश जारी कर अधिकारियों की जवाबदेही तय की गयी हो लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की मनमानी के चलते वह निर्देश महज कागजों में ही सिमट कर रह गया है। इसका खामियाजा आवेदकों को भुगतना पड़ता है और सूचना के लिए उन्हें प्रथम अपील से लेकर राज्य सूचना आयोग तक की दौड़ लगानी पड़ती है। आपको बता दें कि यह स्थिति गोंडा जिले के पंचायत राज विभाग व परसपुर विकास खंड कार्यालय में देखने को मिल रही है। कोई भी सूचना यहां से समय पर आवेदकों को नहीं मिल पा रही है।

मामला परसपुर विकास खंड के अन्तर्गत ग्राम पंचायत सुभागपुर से जुड़ा है। यहां के छिपिहन पुरवा निवासी विष्णु शंकर ओझा ने जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत दिनांक 13 अगस्त 2024 को जनसूचना अधिकारी पंचायत राज विभाग जनपद गोंडा को आनलाईन सूचना आवेदन भेजकर अपने ग्राम पंचायत में विकास कार्यों के बारे में सूचनाएं मांगी थी। जिसमें एक महीने बीत जाने के बाद भी उन्हे जनसूचना अधिकारी द्वारा सूचनाएं नहीं उपलब्ध कराई गयी तो उन्होनें दिनांक 14 नवंबर 2024 को प्रथम अपील उपनिदेशक पंचायती राज देवीपाटन मंडल गोंडा को आनलाईन भेजकर मांगी गई सूचनाएं उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। आवेदक को काफी प्रयास के बाद भी अधिकारियों की मनमानी से जब सूचना नहीं मिली तो उन्होंने विवश होकर 26 अक्टूबर 2024 को राज्य सूचना आयोग में द्वितीय अपील भेजकर सूचनाएं दिलाने की गुहार लगाई है। आवेदक विष्णु शंकर ओझा ने बताया कि उनके गांव में कोई विकास कार्य नहीं कराया गया है और ग्राम प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी ने मिलीभगत करके लाखों रुपए के सरकारी धन का बंदरबांट कर लिया है। उन्होंने इसकी जांच कराकर सूचनाएं उपलब्ध कराने की मांग की थी। इसी पर पर्दा डालने के लिए विभाग द्वारा उन्हें अभी तक सूचना नहीं दी गयी है। जिससे विवश होकर उन्होंने राज्य सूचना आयोग में अपील की है। बताते चलें कि इससे अधिकारियों की मनमानी का भी पता चल जा रहा है कि वे किस तरह से सूचना अधिकार अधिनियम का मखौल उड़ा रहे हैं। फिलहाल मामले में राज्य सूचना आयोग ने उन्नीस दिसंबर 2024 को आयोग के कक्ष संख्या 4 में सुनवाई की तिथि नियत की है।

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