अयोध्याउत्तर प्रदेश

कथा श्रावण करने से हमारा जीवन धन्य हो जाता – अतुल कृष्ण भारद्वाज

 

आचार्य स्कंददास

अयोध्या धाम l श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र द्वारा श्रीराम जन्मभूमि परिसर स्थित अंगद टीला पर श्री राम नवमी के अवसर पर शनिवार को प्रारंभ हुई श्रीराम कथा का शुभारंभ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने किया। कथा व्यास अतुलकृष्ण भारद्वाज ने कहा भगवान श्रीराम लला के पावन सानिध्य में भक्तों को कथा श्रावण करने से हमारा जीवन धन्य हो गया। जब संकल्प की सिद्धि होती है तो जीवन आनंद मय हो जाता है। जिस संकल्प की प्राप्ति के लिये पूर्वजों का प्राणोत्सर्ग कर दिया वह आज हमारे संमुख पूर्ण हो रहा है। इस दौरान महासचिव चम्पत राय ने कहा यह ऐतिहासिक टीला है जो भगवन की लीलाओं का साक्षी है।आज भगवन के जीवन चरित कथा के माध्यम से उनको समर्पित हो रही है। रामनवमी को भगवान का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जायेगा। कथा में विहिप केंद्रीय मंत्री राजेन्द्र सिंह पंकज,प्रचारक गोपाल ,शरद शर्मा सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे। प्रथम दिन की कथा गुरु एवं नाम महिमा-भावना एवं भक्ति से प्रभु की प्राप्ति सम्भव-पूज्य अतुल कृष्ण भारद्वाज जी “महाराज” भव्य कलश शो प्रयात्रा से कथा पण्डाल तक जिसमे माताएं-बहनों ने भाग लिया जिसमें नगर के प्रमुख व्यक्ति श्री. शोभा यात्रा में गाजे-बाजे के साथ निकाली गयी। आज प्रथम दिवस कथा को प्रारम्भ करते हुए वृन्दावन से पधारे कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज जी महाराज ने गुरू एवं नाम महिमा के साथ भावना एवं भक्ति को सुन्दर व्याख्या की। पूज्य महाराज श्री ने कहा कि गुरू का अर्थ है कि अपने शिष्य को सदैव अन्धकार मय जीवन से मुक्त कर प्रकाश की ओर बढ़ाने का मार्गदर्शन करते है। भगवान शिव सम्पूर्ण विश्व के गुरु है, मां पार्वती के आग्रह पर भगवान शिव मानस जैसी गंगा की कथा सुनाई-भगवान शिव ने मां पार्वती से कहे कि आप ऐसी ज्ञान रूपी गंगा के विषय की कथा सुनाने को कहा जिसमें सम्पूर्ण विश्व का कल्याण सम्भव होगा-गंगा तो गंगोत्री से चलकर गंगा सागर तक कुछ क्षेत्रा में रह जाती है-सम्पूर्ण मानव समाज को अपने क्षेत्र से चलकर गंगा में डुबकी लगाने हेतु आना पड़ता है. परन्तु राम चरित मानस रूपी गंगा विश्व के पत्येक जनों तक स्वयं पहुंचेगी अर्थात् गुरू वही है जो मनुष्य को परमात्मा से जोड़ दे। गुरू नरहरीदास की कृपा से एक साधारण सा बालक श्रीराम चरित मानस के रचयिता बन गये। संत तुलसी दास जी बालकाल में भूखों रहते थे, लोग अपने दरवाजे पर खड़े नहीं होने देते थे, लेकिन बड़े होने पर मानस की रचना करने के बाद बड़े-बड़े राजा पांव धोते थे। यह केवल गुरू कृपा है। आगे कथा व्यास ने कहा कि कलियुग में नाम की बड़ी महिमा है. राम-नाम भगवत एक ऐसा साधन है जो गानव समाज को इस भाव सागर से पार उतार देता है. राम-नाम की महिमा गाकर भक्त प्रहलाद, बालक ध्रुव, भक्त मीराबाई, सन्त रविदासू, सन्त कबीर, संत रहीम, सदन कसाई एवं अजामिल जैसे अनेक भक्त नाम का स्मरण कर साक्षात प्रथम दिन देवलोक पहुँच गये। राम-नाम के रस में डूबकर चैतन्य महाप्रभु ने आज लाखों हिन्दू एवं ईसाई को वैष्णव बना दिये। माँए-मदिয লজে আপ লাগभादिये। विश्व के प्रसिद्ध फिल्म निर्माता स्टीफन स्पील वर्ग एवं हालीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री जूलिया रावर्ट्स साथ ही लन्दन के उद्योगपति मिस्टर फोर्ड राम-नाम की महिमा के कारण आज वैष्णव हो गये। लाखों ईसाई हिन्दू धर्म स्वीकार करके वृन्दावन एवं देश के अनेक धार्मिक स्थलों पर भगवत नाम का गुणगान करते हुए माला जाप रहे है। आज इन्हीं भक्तों के सहयोग से वृन्दावन में भव्य मन्दिर चन्द्रोदय मन्दिर बनना शुरू हो गया, जिसका भूमि पूजन भारत के द्वारा राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के कर कमलों से हुआ।आगे कथा व्यास ने कहा कि जो व्यक्ति स्वयं में सुधार करे उसे हंस कहते है और जो स्वयं के साथ दूसरों के जीवन में सुधार कर सद्गुणों के मार्ग पर चलाते है उसे परमहंस मन्दिर काली के पुजारी स्वामी रामकृष्ण जी बालक नरेन्द्र को स्वामी विवेकानन्द कहते है। छोटे से काली बना दिये, जिसके कारण वे स्वामी रामकृष्ण परमहंस कहलाये। मनुष्य के शरीर में सात ऐसे दरवाजे हैं – दो कान, दो आंख, नाक, एक मुख जो इसका सद्उपयोग करता है अर्थात् कैसा देखना, क्या सुनना, क्या खाना, क्या सूंघना इस पर जो विचार करता है वह परमहंस हो जाता है। इस कलियुग में केवल नाम ही आधार है-“कलियुग केवल नाम अधारा, सुमिरिसु नर उतराहिं पारा” l

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