उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में उच्च शिक्षा का बुरा हाल – सूर्यकांत धस्माना

डीएवी एमकेपी डीबीएस जैसे उच्च शिक्षा के प्रमुख संस्थानों को बंद कर निजी विश्वविद्यालयों को प्रोत्साहित कर रही भाजपा सरकार -सूर्यकांत धस्माना

आशीष तिवारी , बालजी दैनिक

देहरादून , 15 , अक्टूबर उत्तराखंड के उच्च शिक्षा के प्रमुख संस्थान डीएवी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, डी बी एस महाविद्यालय , एम के पी महाविद्यालय समेत अनेक सरकारी सहयता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों को पैसे की कमी का बहाना बना कर राज्य की भाजपा सरकार बंद करना चाहती है यह आरोप उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार जान बूझ कर ऐसी परिस्थितियां पैदा कर रही है जिससे उच्च शिक्षा में पिछले दशकों से महत्वपूर्ण योगदान देने वाले सरकारी सहता पाने वाले नामी अशासकीय महाविद्यालय बंद हो जाएं और उसके लिए भाजपा सरकार ने वर्ष २०१९ से इन महाविद्यालयों में नियुक्तियों पर प्रतिबंध लगा दिया

जिससे हालत ऐसे हो गए कि डी ए वी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में कुल स्वीकृत १८६ पदों में से पद डीबीएस महाविद्यालय में १५ पद , एम के पी महाविद्यालय में कुल स्वीकृत ६३ पदों में से ४९ पद रिक्त चल रहे हैं। एम पी जी महाविद्यालय में ०५ पद रिक्त पड़े हैं जबकि एस जी आर आर में अध्यापकों के १३ पद रिक्त हैं। उन्होंने कहा कि नॉन टीचिंग स्टाफ में भी सभी महाविद्यालयों में आधे से ज्यादा पद रिक्त पड़े हैं। श्री धस्माना ने कहा कि हालत ऐसे ही रहे तो आने वाले कुछ वर्षों में अनेक संकायों में अध्यापक ना होने से संकाय ही बंद हो जाएंगे। सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि डी ए वी महाविद्यालय एक जमाने में उत्तराखंड ही नहीं बल्कि उत्तर भारत का एक प्रमुख शिक्षण संस्थान था जहां से देश के महान नेता स्वर्गीय हेमवती नन्दन बहुगुणा उसके माध्यमिक स्कूल से पढ़ कर निकले, नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री लोकेंद्र बहादुर चांद , उत्तराखंड के प्रथम मुख्यमंत्री नित्या नंद स्वामी , उत्तरप्रदेश के पूर्व डीजीपी चमन लाल प्रद्योत, समेत अनेक विभूतियां यहां से शिक्षा ग्रहण कर देश के अनेक भागों में अलग अलग क्षेत्रों में सेवा की।

धस्माना ने कहा कि राज्य की सरकार इन शिक्षण संस्थाओं को कमजोर कर निजी विश्व विद्यालयों को बढ़ावा दे कर उच्च शिक्षा का बाजारीकरण कर रही है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि डी ए वी महाविद्यालय में एल एल बी की पढ़ाई तीन वर्ष की जहां पंद्रह हजार रुपए से कम में पूरी हो जाती है वहीं यही कोर्स किसी निजी विश्विद्यालय से कराने में साढ़े चार लाख रुपए से छह लाख रुपए में होता है। सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि सस्ती उच्च शिक्षा देने वाले इन सरकारी अनुदान से चलने वाले अशासकीय महाविद्यालयों को बंद कर महंगी उच्च शिक्षा देने वाले निजी विश्विद्यालय को सरकार बड़ावा दे रही है। उन्होंने कहा की आने वाले चांद महीनों में मोटी रकम ले कर कम से कम दो दर्जन नए विश्विद्यालय खोलने की तैयारी सरकार कर रही है। धस्माना ने कहा कि राज्य सरकार के उच्च शिक्षा के प्रति इस रवैया के खिलाफ वे शीघ्र प्रदेश के राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार को उचित निर्देश देने का आग्रह करेंगे। सूर्यकांत धस्माना ने राज्य सरकार के अशासकीय महाविद्यालयों के प्रति उपेक्षापूर्ण व्यहवार पर १५ सूत्री आरोप पत्र भी जारी किया है

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