पता नहीं क्यों हम नकारे गए । लुटा के सब हम मारे गए। सहारा दिया अपना समझ। तभी तो अपने…
Read More »कविता
बाह्य दुनिया के छल मायावी प्रपंचों से निकल, सुन जरा थोड़ा भीतर भी मनन करता जा, सद्गुरु के अनुपम अतुलनीय…
Read More »आया बाल दिवस बन ठन के, बच्चे भोले भाले सच्चे मन के, बचपन से करें फिर मुलाकात, चाचा नेहरू…
Read More »हरी-भरी तुलसी खिली रहती मेरे आंगन मनभावन, बारहों मास बरसे सुख का अमृत”आनंद” सावन । प्रतिदिन सुबह शाम धूप, दीप,…
Read More »पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोय। ढाई अक्षर प्रेम के, पढ़े सो पंडित होय॥ महापुरुषों की गूढ भाषा…
Read More »कार्तिक मास लाया त्योहारों की धूम, नर नारी सब हर्षित हुए नाचे गाए झूम, कार्तिक कृष्ण पक्ष करवा चौथ…
Read More »एक चकोर उस चांद और चांदनी का बड़ा दिवाना हैं, रात की कली ने जिसको अपना सब कुछ माना है,…
Read More »-डॉ. सत्यवान सौरभ मुकरे होंगे लोग कुछ, देकर स्वयं जुबान। तभी कागजों पर टिके, रिश्ते और मकान।। जिनपे धन-तन-मन,…
Read More »विजय सिंह! बलिया (उत्तर प्रदेश) मैंने भी देखा है, किसी डूबते हुए को, उबरते हुए! बिखरे हुए को, संभलते हुए!…
Read More »डॉ. सतीश “बब्बा” मृत्यु सत्य है, यह जानना जानकारी है, मृत्यु सत्य है, याद रखना ज्ञान…
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