उत्तर प्रदेशसीतापुर

ग्यारह माह में भी नहीं दिया मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने सूचना अधिकार का जवाब

सीतापुर राकेश पाण्डेय। आजाद अधिकार सेना के जिला अध्यक्ष नवल किशोर मिश्रा द्वारा पांच फरवरी 2024 को दो बिन्दुओं पर सूचना अधिकार अधिनियम अन्तर्गत कार्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी सीतापुर से सूचना अधिकार के तहत वर्ष एक अप्रैल 1999 को योगदान आख्या किये स्वास्थ्य कार्यकर्ता पुरुष व वर्ष 2009 में प्रोन्नति किये गये स्वास्थ्य पर्यवेक्षक के वेतन विसंगति के मामले में सभी सत्रह स्वास्थ्य पर्यवेक्षकों की वेतन डिटेल तथा जनपद में चिकित्सा अधीक्षक के पदों पर कितने दिनों से चिकित्सा अधीक्षक नियुक्तियां है।मांगी गई थी।

परन्तु वह जवाब कार्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा नहीं दिया गया जबकि महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं उत्तर प्रदेश तथा अपर चिकित्सा निदेशक लखनऊ मण्डल द्वारा कई पत्र जारी किए गए फिर भी कार्यालय मुख्य चिकित्सा अधिकारी सीतापुर के पटल सहायकों द्वारा जन सुनवाई मुख्यमंत्री पोर्टल पर भ्रमित करने वाली आख्या दी गई है।जो जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय को दी जानी चाहिए थी वह अपने अधीनस्थ चिकित्सा अधीक्षकों से आधी अधूरी दिलवाई गई है।

इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत की गई उस पोर्टल पर भी भ्रामक रिपोर्ट लगाई गई। जिसमें कहा गया कि सेवा पुस्तिकाएं संकलित कर वित्त नियंत्रक के पास मुख्यालय भेजी जा रही हैं परन्तु अभी तक कोई भी सेवा पुस्तिका नहीं भेजी गई तथा वेतन आहरण वितरण का अधिकारी सीतापुर जनपद में के मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में प्रशासनिक अधिकारी के पास है तथा वेतन का पोर्टल लेखाकार अनुभाग में है फिर भी जानकारी नहीं दी जा रही है।

इस सम्बन्ध में कई शिकायतें की गई परन्तु कोई उन शिकायतों का संज्ञान नहीं लिया जा रहा है उच्च अधिकारियों ने पत्र भी जारी किया फिर भी तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा खाना पूर्ति करते रहे तथा चिकित्सा अधीक्षकों को निर्देश देते रहें।जब कि सूचना का अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय को देनी थी उनके द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम का खुला दुरुपयोग किया गया परन्तु कोई भी कार्यवाही नहीं की गई।

इस सम्बन्ध में महानिदेशक शासन तथा सूचना आयोग में भी शिकायत की गई परन्तु समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है तथा जो सूचना चिकित्सा अधीक्षकों द्वारा भेजी गई है उसमें अधिकांश लोगों ने भ्रामक तथा तथ्य हीन सूचना भेजी गई। जिससे सूचना अधिकार अधिनियम का उलंघन किया गया तथा मनमाने तरीके से रिपोर्ट लगाई गई हैं।

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