कविता

मेरे घर नवरात्रों में पधारो 

हे नवदुर्गा नौ रुप धार मेरे घर नवरात्रों में पधारो,
हम भक्तों के मैया जी सारे अटके कारज सवारों,
धरती के प्राणियों का भी सारा दुख दर्द निवारो,
दुष्टों को मैया कालिका चामुंडा रूप धरकर मारो ।
आपकी महिमा अपरंपार, पूरी करती हो हर गुहार,
मेरे भी विनम्र प्रार्थना मैया जी आप कर लो स्वीकार,
सजाई पूजा की थाली धूप-दीप और फल-फूल हार,
आरती उतारूं आपकी मैया जी मैं लूण राई संग वार ।
सुन ली मेरी मां जगदम्बे ने “आनंद” करूण पुकार,
सज-धज कर सिंह पर सवार, माता रानी आई द्वार,
श्रद्धा भक्ति भाव से चरणों में करती वंदन बारम्बार,
भक्तों पर बरसाया मां ने सुख समृद्धि का अनंत भंडार ।
बीत गए दिन दुःख के सारे अब आई सुख की बारी,
मैया जी से पा लो अपने मन की मुरादें तुम सारी,
दिल में बसा लो मैया जी मैं प्यारी बिटिया हूं तुम्हारी,
भर दो भर दो खाली झोली ढेरों खुशियों से सारी ।
–  मोनिका डागा “आनंद” , चेन्नई, तमिलनाडु

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