संप्रदाय भेद व जातिपांति का भेद और प्रांत भेद दूर होना चाहिए- महामंडलेश्वर श्री ऋषि भारती जी
महाकुंभ नगर २१ जनवरी
बीके यादव/बालजी हिंदी दैनिक
श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के गुरुदेव 1008 महामंडलेश्वर श्री ऋषि भारतीजी महाराज के सानिध्य में वेदांत दर्शन व कुंभ मेला एवं सनातन धर्म पर चर्चा हुई। महाकुंभ मेला प्रारंभ हो चुका है तब पूरे भारत वर्ष और दुनिया के कोने कोने से विविध वेशभूषा और अपनी साधना में रत साधु संतों का आगमन हो रहा है, उन संतों के बीच संस्कृत भाषा के वेदान्त विषय में 3 बार केंद्र सरकार से गोल्ड मेडल प्राप्त संत महात्मा का भी आगमन हुआ है,यह संत का नाम है महामंडलेश्वर ऋषि भारतीजी महाराज,जो गुजरात से आये हुए हैं। महामंडलेश्वर ऋषि भारतीजी महाराज ने 2008 में पूरे भारत में प्रथम क्रमांक के साथ वेदान्त विषय का अभ्यास पूर्ण करके “वेदान्ताचार्य “की उपाधि प्राप्त हुई है। जब वेदान्त का अभ्यास पूर्ण हुआ तब अपने विद्यागुरु को दक्षिणा देने गये तब विद्यागुरु ने कहा- ‘बेटा! आपने जो विद्याभ्यास किया है वो सनातनधर्म और राष्ट्र की सेवा में समर्पित करना यही मेरी गुरुदक्षिणा है। 42 वर्ष की
आयु में 2008 से लगातार निष्कामभाव से अपने गुरुनूर्तिओ के आशीर्वाद से यु.के., सिंगापुर, दुबई,मस्कत,मोरेशियस नेपाल सहित विदेश में और भारत के कई राज्यों में परिभ्रमण करके सनातनधर्म का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। जब पूछा गया कि आपके मन में कौन सा सिद्धांत है तो बताया गया है कि देश में संप्रदायभेद और जातिपंति का भेद और प्रांतभेद दूर होना चाहिए तब जाके ‘एकं सद्विप्राः बहुधा वदन’ और ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ और ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना सिद्ध होती है। हो सकते हैं।भारतदेश ने जितना स्थान शंकराचार्य को दिया है उतना ही स्थान डॉ.भीमराव अंबेडकर साहब को भी दिया है। इसलिए सांप्रत काल में जो मनुवाद और अम्बेडकरवाद के बीच जो विरोधाभास चल रहा है उसे दूर करके मनुष्य की योग्यता के अनुसार हर व्यक्ति को सम्मान मिलना चाहिए । चाहे UC OBC SC ST समाज के हर व्यक्ति को योग्यता के अनुसार पद प्रतिष्ठा सम्मान मिलना चाहिए और जो लोगों ने’अहिंसा परमो धर्म’ की बात कहकर भारत को अहिंसावादियों ने अधूरा पढ़ा है,वास्तविकता यह है कि ‘धर्महिंसा तथैव च और ‘शठं प्रति सत्यं समाचरेत्’ की नीति है कि जो भाषा में समझे उसी भाषा में उसे समझाना चाहिए।जो आचार्य ने ‘ब्रह्म सत्यं जगत् मिथ्या’ की बात कही, जिससे देश में पलायनवाद का सहारा लिया गया,लेकिन आज निश्चित है कि देश को योगी आदित्यनाथ जैसे कर्मयोगी संत महापुरुषों की मदद से देश प्रगति पथ पर आगे बढ़ा सके। उन्होंने बताया की आज देश में जो पांच प्रश्न है वह जनभागीदारी के माध्यम से वड़ाप्रधान नरेंद्रभाई मोदी और UP के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जल्द ही दूर कर सकते है जैसे (१) प्रकृति की सुरक्षा और संवर्धन (२)आतंक वाद (३) ग़रीबी (४) गुलामी और (५) बंधारण में मानवतावादी सुधारणा lउन्होंने बताया कि 2025 का महाकुंभ मेला जो गंगा यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम लगा वो सिर्फ तीन नदियों का ही संगम नहीं है अपितु ये संगम स्वच्छता सुरक्षा और सुंदर व्यवस्था का भी त्रिवेणी संगम है ये भव्यता दिव्यता और डिजिटल का भी त्रिवेणी संगम है ये समानता आजीविका और सांस्कृतिक धरोहर का भी त्रिवेणी संगम है ये ज्ञानयोग भक्तियोग और निष्काम कर्मयोग का भी त्रिवेणी संगम है ये सुरता सेवा और समर्पण का त्रिवेणी संगम है ये भजन भोजन और साधना का भी त्रिवेणी संगम है ये धर्मसत्ता राजसत्ता और लोकसत्ता का भी त्रिवेणी संगम है और ये महाकुंभ आध्यात्मिक प्रयोग भी है।अंत में उन्होंने संदेश देते हुए कहा कि विश्व को अगर मैनेजमेंट का पाठ सीखना है तो यहां आकर देखना चाहिए यहां इवेंट मैनेजमेंट, क्राउड मैनेजमेंट और सिक्योरिटी मैनेजमेंट कैसे किया जाता है उनका यह प्रयोगात्मक उदाहरण है ।