मंत्री सौरभ बहुगुणा को बधाई – आंचल आउटलेट हुए हिट

00 से अधिक महिलाओं को मिला सीधा रोजगार,
मातृशक्ति की आजीविका में लगातार हो रहा सुधार
आशीष तिवारी , बालजी दैनिक
देहरादून , 9 नवंबर , उत्तराखंड सरकार के दूरदर्शी और बेहद संवेदनशील कैबिनेट मिनिस्टर सौरभ बहुगुणा की योजना पहाड़ों में कामयाब हुयी और पशुपालकों , दुग्ध व्यवसायी महिलाओं को जमकर मुनाफा भी हुआ है। ये तो जगजाहिर है कि प्रदेश की आर्थिकी चार धाम यात्रा से सीधे जुडी है। ऐसे में श्री केदारनाथ धाम यात्रा जनपद की मातृशक्ति के लिए वरदान साबित हुई है । जनपद में संचालित महिला समूहों के लिए यह यात्रा बेहद सुखद साबित हुई। इस वर्ष 16 लाख 53 हज़ार से ज्यादा श्रद्धालु बाबा केदारनाथ धाम के दर्शनों को पहुचें जिसका सीधा प्रभाव मातृशक्ति की आय एवं आर्थिकी पर भी देखने को मिला। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के चलते महिला समूहों के व्यवसाय को हर वर्ष नई ऊंचाइयां मिल रही हैं। केदारनाथ यात्रा से जुडे़ विभिन्न महिला समूहों ने गत वर्ष जहां करीब 70 लाख का कारोबार किया था वह इस वर्ष बढ़कर करीब 1 करोड़ रुपए पहुंच गया है। इन सबके साथ जुड़ा उत्तराखंड का अपना ब्रांड आँचल जिसको मंत्री बहुगुणा के निर्देशन में नए रंग रूप और उत्पादों के साथ इस साल उपभोक्ताओं को पेश किया गया है।
स्थानीय रोजगार सृजन में भी शानदार रही मंत्री सौरभ बहुगुणा की योजना
रोजगार मंत्री के रूप में लगातार नए अवसर और योजनाओं के साथ मंत्री सौरभ पहाड़ों में ही स्वरोजगार देने में कामयाब हो रहे हैं यही वजह है कि इस वर्ष पहली बार यात्रा मार्ग पर दुग्ध विकास विभाग के माध्यम से आंचल डेयरी के सात आउटलेट एवं पार्किंग भी खोले गए थे जो महिला समूहों एवं स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का एक बेहतर विकल्प बनकर तैयार हुए हैं।
जिला प्रशासन राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम), रूरल बिजनेस इनक्यूबेटर (आरबीआई), ग्रामीण उद्यम त्वरण परियोजना (आरईएपी) सहित अन्य विभागों के माध्यम से जनपद में मातृशक्ति की आजीविका सुधारने का प्रयास कर रहा है। इसके लिए विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत मातृशक्ति के महिला समूह गठित कर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है। मुख्य विकास अधिकारी डॉ जीएस खाती ने बताया कि बाबा केदारनाथ में दुनियाभर से आने वाले तीर्थ यात्रियों को मुख्य तौर पर श्री केदारनाथ धाम के लिए महाप्रसाद, धाम का सोवेनियर, धूप, चूरमा, बेलपत्री, शहद, जूट एवं रेशम के बैग और चारधाम के तोरण बनाकर महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ी हुई हैं। इसके अलावा सरस रेस्तरां एवं आउटलेट, हिलांस कैफे एवं बेकरी संचालन के माध्यम से भी मातृशक्ति को आजीविका से जोड़ा गया है।