स्थानांतरण के बाद भी नही छोड़ पा रहे मलाईदार वर्तमान तैनाती
रिपोर्ट कृष्ण मोहन मिश्रा ‘राहुल’
सीतापुर। मुख्यमंत्री कि जीरो टॉलरेंस नीति को यहाँ पलीता लगा रहे दीवान,सिपाही, लंबे अर्से से जमे यह पुलिस कर्मी रवानगी न होने के चलते हुए मनबढ़ अपने ही महकमे की करा रहे फजीहत,”एक कहावत है जब सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का” इस कहावत को आपने खूब सुना होगा लेकिन यह कहावत सिर्फ सुनी होगी लेकिन हकीकत में सीतापुर जनपद के लहरपुर कोतवाली में देखने को मिली, वर्षो पहले स्थानीय कबाड़ मंडी जहां अखबारों की सुर्खियां बनी तो वहीं अधिकारियों की नजर भी टेढ़ी हुई फिर कार्यवाहियों का सिलसिला चालू हुआ जिसके चलते आखिर कबाड़ मंडी पर ग्रहण सा लग गया और पूरी तरह बंद हो गई, अधिकारियों की कार्यवाही के आगे कबाड़ व्यापारी दम तोड़ते हुए दिखाई दिए, जिसके चलते लहरपुर से फोर व्हीलर एवं मोटरसाइकिल के कबाड़ी पलायन करने को मजबूर हो गए और होते भी क्यों न क्योंकि अवैध रूप से सेटिंग-गेटिंग के सहारे जो चला रहे थे, फिर क्या उच्च अधिकारियों की जांच व कार्यवाही की रडार में आ गए और उनका धंधा व कबाड़ से जुड़े सैकड़ों लोग व मजदूर काम बंद होने से सड़क पर आ गए, जिस कारण कुछ कबाड़ी बिसवां चले गए तो कुछ लोगो ने अपना डेरा हरगांव में डाल लिया, बाकी जो बचे वह लगुचा और लखीमपुर में अपनी दुकानें खोलकर अपनी जीविका चला रहे हैं। लेकिन अगर ट्रैक्टर कबाड़ व्यापारियों की बात करे तो उन्होंने अपने पैर पुनः पसारने चालू कर दिए। धीरे-धीरे समय बीतता गया और सेटिंग-गेटिंग करने में माहिर यह कबाड़ियों को चौकी के दीवान विनय पटेल और सिपाही मनीष चौधरी के रूप में वरदान मिल गया। जिन्होंने इन कबाड़ियों की इस डूबती नौका को फिर से पार लगा दिया, नगर के प्रमुख दलालों से साठगांठ करके कार्य को धीरे-धीरे संचालित कर दिया। जिसके बाद फिर से सेटिंग-गेटिंग करके अपने पैर फिर से पसारने लगे जैसे इन्हें फुल छूट दे दी गई हो, सूत्र बताते हैं इसके एवज मे प्रत्येक माह एक मोटी रकम तय हो गई, प्रत्येक माह वसूली होने लगी ऐसी चर्चा आम है। विगत दिनों फिर ट्रैक्टर कबाड़ मंडी अखबारों की सुर्खियां बनी लेकिन फिर मामला ठंडे बस्ते में चला गया। चौकी के दीवान विनय पटेल और सिपाही मनीष चौधरी अपने अधिकारी की नजर में अपने आप को सर्वश्रेष्ठ साबित करने में लग गए और नगर के दो प्रमुख दलालों के साथ मिलकर खेल शुरू कर दिया, और अपने मंसूबे में कामयाब भी हो गए। फिर इनका दौर चालू हुआ नगर के दोनों दलालों से मिलकर नगर में होने वाली घटनाओं में लोगों को पकड़ने से लेकर छोड़ने तक ठेका दीवान व सिपाही के माध्यम से खेल चलता रहा और कमाई के नए-नए रास्ते खुलते गए और साहब की जी हुजूरी से उनके लोकप्रिय व खाश बनने में समय आज तक ऐसा बीता की नगर की जनता को लूटने का शिलशिला अभी भी जारी है। इसी के बलबूते यह आम जनमानस से अपनी खूब मनमानी जमाने लगे और लोगों का शोषण करना चालू कर दिया। समय के साथ हालात बदले कही रवानगी न हो जाये यह सोंचकर दीवान और सिपाही विचलित होने लगे, और फिर अपनी सेटिंग गेटिंग में लग गए। देखने वाली बात यह होगी कि, नवागत कोतवाली प्रभारी अंडर ट्रांसफर इन दीवान व सिपाही की रवानगी करेंगे या फिर इनकी जड और मजबूत करेंगे यह तो अभी भविष्य के गर्त में ही है।