Devotees Counting: कुंभ में कैसे होती है श्रद्धालुओं की गिनती?
कुम्भ नगर से प्रियांशु द्विवेदी की रिपोर्ट – प्रयागराज , 24 जनवरी: Devotees Counting: इस बार मेले में दुनियाभर से 40-45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इतने बड़े मेले में श्रद्धालुओं की गिनती कैसे होती है? महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की सटीक संख्या का आकलन करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया है। ये तकनीकें भीड़ प्रबंधन और आयोजन की व्यवस्था को कुशलता से संचालित करने में मदद करती हैं।
1. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित कैमरे – मेले में हजारों AI-सक्षम सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। – ये कैमरे हर सेकंड डेटा अपडेट करते हैं और भीड़ के घनत्व का विश्लेषण कर लोगों की संख्या(Devotees Counting) का अनुमान लगाते हैं। – ये डेटा केंद्रीय सर्वर पर भेजा जाता है, जहां इसे वास्तविक समय में प्रोसेस किया जाता है।
2. ड्रोन तकनीक – मेले के विभिन्न क्षेत्रों में ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है। – ड्रोन भीड़ के घनत्व का आकलन करते हैं और यह जानकारी क्राउड असेसमेंट टीम को भेजते हैं।
3. मोबाइल नेटवर्क और ऐप ट्रैकिंग – श्रद्धालुओं के मोबाइल नेटवर्क डेटा और GPS ट्रैकिंग का उपयोग किया जा रहा है। – एक समर्पित ऐप के माध्यम से मेले में उपस्थित मोबाइल फोन की औसत संख्या को ट्रैक किया जा रहा है।
मैनुअल – मेले के 48 घाटों पर हर घंटे स्नान करने वाले लोगों की संख्या का आकलन करने के लिए विशेष टीम तैनात है।
श्रद्धालुओं की गिनती क्यों है जरूरी? –
सुविधाओं का प्रबंधन: भीड़ के सटीक आंकड़ों के आधार पर पानी, भोजन, शौचालय, और अन्य आवश्यक सेवाओं की व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है। – सुरक्षा व्यवस्था: भीड़ का सही अनुमान सुरक्षा प्रबंधन को बेहतर बनाने में मदद करता है। – भविष्य की योजना: इस डेटा का उपयोग भविष्य के महाकुंभ के आयोजन की योजना बनाने में किया जाएगा। महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में श्रद्धालुओं की संख्या का सटीक आकलन करना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। लेकिन इस बार प्रयागराज महाकुंभ 2025 में अत्याधुनिक तकनीकों, जैसे AI, ड्रोन और मोबाइल नेटवर्क ट्रैकिंग के उपयोग से इसे सफलतापूर्वक संभव बनाया जा रहा है। यह न केवल आयोजन को व्यवस्थित बनाता है, बल्कि श्रद्धालुओं के लिए एक बेहतर अनुभव सुनिश्चित करता है।