मृदा व जल परीक्षण के महत्व पर कृषक प्रशिक्षण का आयोजन
कृषकों को आधुनिक कृषि पद्धतियों के प्रति किया जागरूक
पोषण-संवेदनशील कृषि अपनाने पर जोर, पारंपरिक आहार को मिली प्राथमिकता
ब्यूरो रिपोर्ट अनूप पाण्डेय
कटिया, सीतापुर स्थित कृषि केंद्र द्वारा विकास खंड बिसवां के रमनगरा ग्राम में कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को मृदा संरक्षण, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन के महत्व तथा आधुनिक कृषि पद्धतियों की जानकारी प्रदान करना था।
प्रशिक्षण सत्र में कृषि केंद्र के मृदा वैज्ञानिक श्री सचिन प्रताप तोमर ने किसानों को फसल बुवाई से पूर्व मृदा नमूना एकत्रीकरण, मृदा जांच, बीज एवं भूमि शोधन की विधियों पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने देशी और हरी खाद के वैज्ञानिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मृदा की संरचना एवं उसके स्वास्थ्य को समझना अत्यंत आवश्यक है। श्री तोमर ने कहा कि जैसे स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है, उसी प्रकार स्वस्थ मृदा में ही उत्तम गुणवत्ता वाले अनाज और बीज विकसित हो सकते हैं। उन्होंने किसानों को वैज्ञानिक एवं तकनीकी ज्ञान से सुसज्जित करने पर जोर दिया ताकि वे अधिक उत्पादक और लाभप्रद खेती कर सकें।
कार्यक्रम के दौरान मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन और बीज शोधन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विशेष जोर दिया गया, जिससे किसानों को बेहतर फसल उत्पादन में सहायता मिल सके। कृषि विज्ञान केंद्र कटिया, सीतापुर द्वारा निरंतर इस प्रकार के प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि स्थानीय किसानों को नवीनतम कृषि तकनीकों और वैज्ञानिक विधियों की जानकारी मिलती रहे और वे अपनी फसल उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकें।
कार्यक्रम में उपस्थित कृषि विशेषज्ञ डॉ. रीमा ने पारंपरिक खाद्य प्रणालियों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि ये पारंपरिक खाद्य पदार्थ न केवल स्वास्थ्यवर्धक हैं, बल्कि जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को रोकने में भी सहायक हो सकते हैं। उन्होंने किसानों को मोटे अनाज (ज्वार, बाजरा, रागी), दालों, पारंपरिक सब्जियों और देसी फलों जैसी पोषण-संवेदनशील फसलों की खेती को बढ़ावा देने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि पोषण-संवेदनशील कृषि न केवल मृदा की उर्वरता को बनाए रखती है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को भी कम करने में सहायक होती है।
इस अवसर पर किसानों को प्रोत्साहित किया गया कि वे अपने समुदाय में भी इस जागरूकता को फैलाएं और अधिक से अधिक लोगों को पारंपरिक एवं वैज्ञानिक कृषि पद्धतियों की जानकारी दें।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में श्री गया प्रसाद, श्री सुभाष चंद्र मौर्य, श्री लक्ष्मण प्रसाद, अंजू देवी, सुखरानी, मीना देवी सहित कुल 32 कृषकों ने भाग लिया।