लोक गायिका मालिनी अवस्थी के लोकगीतों से गूंज उठी कुंभ नगरी
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महाकुंभ नगर १५ फरवरी
बीके यादव/ बालजी दैनिक
भारतवर्ष की माटी की सुगंध से लबरेज आंचलिक लोक नृत्यों की बहुरंगी प्रस्तुतियों, देशज लोकगीतों एवं सम्मोहक गायन के साथ पूरे भारत की सांस्कृतिक छटा को बिखरे कलाग्राम में आकर्षक वेशभूषा, कलाप्रेमियों का ध्यान खींचते सजे-धजे चेहरे और पैरों से बजती घुंघरुओं की छम-छम शनिवार को कलाग्राम के भव्य मंच पर इस अंदाज में विभिन्न राज्यों से आए कलाकार थिरके तो लोक कलाओं का संगम जैसे हिलोरें मारने लगा। दर्शक दीर्घा का पूरा माहौल ही खुशनुमा हो उठा। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कुंभ में लोकनृत्य, लोकगीत की जुगलबंदी पर दर्शक खूब थिरके। शनिवार को सांस्कृतिक संध्या मशहूर लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी के नाम रही। मंच पर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ दर्शकों ने उनका स्वागत जोरदार किया। स्वागत से अभिभूत मालिनी अवस्थी ने मां गंगा को प्रणाम किया और अपने कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता तथा ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय से की। इसके बाद उन्होंने चिर-परिचित अंदाज में पहले श्रोताओं से खुद को जोडा उसके बाद मंच को सुरों से सजाना शुरू किया। लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने एक के बाद एक कई गीतों की प्रस्तुति देकर समां बांध दिया। उन्होंने मोरे अंगना भवानी आई रे चौंक पुराओं और माटी रंगाओ, ‘राजा जनक के द्वारे भीड़’ तथा ‘होली खेले मसाने में… की प्रस्तुति से खूब वाहवाही पाई। वहीं, दर्शक दीर्घा में बैठे लोग ‘रेलिया बैरन पिया को लिए जाए’, अनादि देवी अम्बिके तुम्हे सतत प्रणाम है, नीमिया तले डोला रख दे मुसाफ़िर समेत एक के बाद एक गीतों पर श्रोता झूमते रहे।
विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने लोकनृत्यों की प्रस्तुति देकर दर्शकों को अपनी संस्कृति से परिचय कराया। ओडिशा का घंटा और मृदंग नृत्य, तमिलनाडु का ओलियट्टम नृत्य, राजस्थान का कच्ची घोड़ी नृत्य, त्रिपुरा का मोगनृत्य तथा पंजाब का भांगड़ा की प्रस्तुति देकर दर्शकों से मंत्रमुग्ध किया। कार्यक्रम का संचालन संजय पुरषार्थी ने किया।