विचार

देव दीपावली और दीपक का प्रकाश

देव दीपावली की बहुत – बहुत बधाई !

 

कार्तिक मास की पूर्णिमा को देव दीपावली कहा जाता है। यह दीपावली के ठीक पंद्रह दिन बाद पूर्णिमा को मनायी जाती हैं । इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था और देवताओं को स्वर्ग का राज्य वापस लौटाया था और इसी ख़ुशी में सभी देवताओं ने दीप प्रज्वलित कर के देव दीवाली के पर्व को मनाया । हमारे सनातन धर्म में देव दीपावली का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन लोग अपने घरों को दीपकों की रोशनी से जगमगाते हैं और इस पर्व को हर्षोल्लास से मनाते हैं । घाटों पर जल के आस पास दीपक का प्रकाश किया जाता है, इस दिन दीपदान करने का बहुत अधिक महत्व है।

“ दीपज्योतिः परं ज्योतिः, दीपज्योतिर्जनार्दनः ।
दीपो हरतु मे पापं , दीपज्योर्तिनमोऽस्तुते ॥”

“शुभं करोतु कल्याणम् , आरोग्यं सुखसम्पदः । द्वेषबुद्धिविनाशाय , आत्मज्योतिः नमोऽस्तुते ॥”

हमारा शरीर पाँच तत्वों से मिलकर बना है –
पृथ्वी, जल, अग्नि , वायु ,और आकाश। उसी तरह से जब हम दीपक प्रज्वलित करते हैं तो इसमें भी यही पाँच तत्व काम करते हैं –
पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश ।
आइए हम जानते हैं इन पाँच तत्वों का हमारे शरीर और दीपक के प्रकाश से कैसा अनूठा संबंध है :-

१ – पृथ्वी तत्व – “ मिट्टी का दीपक “ यही हमारा स्थूल शरीर है । यह प्रकाश का आधार है, जिसके बिना बाकी के चार तत्व निष्प्राण है ।

२- जल तत्व – “ बात्ती ( रूई की …) “ यह दूसरा तत्व है जिसके प्रयोग से ही दीपक की ज्योति प्रकट होती है इसके बिना पृथ्वी तत्व अधूरा है ।

३- अग्नि तत्व – “ घी या तेल या कपूर “ जिसको हम दीपक प्रज्वलित करने के लिए प्रयोग करते हैं यह तीसरा तत्व है जिसमें अग्नि प्रकट होती हैं और यह पृथ्वी तत्त्व और जल तत्व में सम्मलित रूप से प्राणों का संचार करता है, ये है हमारे द्वारा किए गए कर्म जितने हम अच्छे कर्म करेंगे उतनी ही दीपक की ज्योति जलती रहेगी ।

४- वायु तत्व – “ अग्नि “ जिसके लिए हम माचिस की तीली उपयोग में लाते हैं और दीपक में अग्नि प्रकट करते हैं, ये हैं हमारा ज्ञान ( गुरूकृपा ) जो हमारा मार्गदर्शन करती हैं जिससे हम इन तीनों तत्वों का सही तालमेल बैठा कर दीपक में प्राणों को सजीवता प्रदान करें। वायु तत्व, हमारा उचित ज्ञान ही पृथ्वी तत्व, जल तत्व और अग्नि तत्व का आधार है ।

५- आकाश तत्व – “ प्रकाश “ ये दीपक की लौ जलाने से प्रकट होता है और सर्व प्रथम अंधकार का नाश करता है जो कि हमारी अज्ञानता और हमारे द्वारा किए गए अशुद्ध कर्म हैं और यह साथ ही पृथ्वी तत्व में अनंत आनंद का प्रवाह शुरू कर देता है । हमारे भीतर का आनंद यही है हमारा ईश्वर ( परम प्रकाश ) जो इन चारों तत्वों के समन्वय से प्रकट होता है और जीवन में परमानन्द , ख़ुशियाँ , उन्नति, सुख प्रदान करता है , जिससे हर तरह के अन्धकार ( दुःख ) का अस्तित्व अंत हो जाता है। यदि आकाश तत्व में इन चारों तत्वों का समन्वय पूरी तरह से नहीं होता तो हम परमानंद से वंचित हो जाते हैं ।

इसलिए दीपक के प्रकाश को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है , हर शुभ कार्य में हम दीपक ज़रूर प्रज्ज्वलित करते हैं । हर घर में सुबह और शाम के समय दीपक जलाया जाता है । दीपक सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है और घर में दीपक जलाने से घर की सभी नकारात्मक शक्तियाँ समाप्त हो जाती है ।
दीपक का प्रकाश और पंच तत्वों का ताल मेल वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रहस्य समझिए और अपनी सनातन संस्कृति का चित मन बिना शंका के अनुसरण कीजिए ।
रोशनी करने के कई उपाय है परंतु आंतरिक समन्वय और संतुलन दीपक का प्रकाश ही करता है । किसी भी शुभ कार्य, पूजन, ध्यान, चिंतन, मनन करते समय अपनी ऊर्जा को ब्रह्माण्ड की सकारात्मक शक्ति से जोड़ दीजिए । श्रेष्ठतम् परिणाम के आप स्वयं साक्षी बनेंगे । बहुत थोड़े शब्दों में दीपक प्रज्वलित करने के कुछ प्रमुख लाभ बताने की कोशिश की है, मगर वास्तव में इसके लाभ अनंत हैं । मानसिक शांति, आत्मिक “आनंद “, सुख,समृद्धि, वैभव, ऐश्वर्य , शुद्धि, हर ख़ुशी दीपक के प्रकाश से आकर्षित और प्राप्त की जा सकती है । पीछे जाइए और ध्यान कीजिए जब आपने दीपक प्रज्वलित किया और उससे प्राप्त सकारात्मक आनंद को महसूस कीजिए । धीरे-धीरे आपके भीतर स्वतः ही परमतत्व की ज्योति और प्रकाश विकसित होने लगेगा ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button