देश में वक्फ बोर्ड रहेगा तो सनातन बोर्ड बनाना पड़ेगा- देवकीनंदन ठाकुर
महाकुंभ नगर ०२ फरवरी
बीके यादव/बालजी दैनिक
रविवार की कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने भक्तों को बताया कि यज्ञ करने से देवताओं और पितरों का ऋण उतर जाता है और अनंत पापों से मुक्ति मिलती है, यज्ञ के द्वारा न केवल भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि आती है, बल्कि यह समाज और प्रकृति के कल्याण के लिए भी होता है।
देवताओं और पितरों के ऋण का उतरना इस बात को दर्शाता है कि यज्ञ के माध्यम से हम अपने पूर्वजों और आस्थाओं का सम्मान करते हैं, जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
“जो मनुष्य धर्म की हत्या करेगा, धर्म उसे मार डालता है” – जब किसी समाज में धर्म की हत्या होती है, तो उसका समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, और यह समाज को अराजकता और नाश की ओर ले जाता है।
धर्म की रक्षा करना इसलिए आवश्यक है क्योंकि यह हमारे जीवन के सभी पहलुओं को मार्गदर्शन देने वाला है। यदि हम धर्म की रक्षा करते हैं, तो हम न केवल अपने व्यक्तिगत जीवन को सही दिशा में रखते हैं, बल्कि समाज को भी शांति, न्याय और समृद्धि की दिशा में बढ़ाते हैं।
भजन-कीर्तन, सत्संग और कथा श्रवण अत्यंत आवश्यक हैं। भजन करने से मन शुद्ध होता है और ईश्वर से जुड़ाव बढ़ता है। अच्छे कर्म न केवल हमें आंतरिक संतोष प्रदान करते हैं, बल्कि समाज में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं।
दान करना, अर्थात जरूरतमंदों की सहायता करना, हमारे जीवन को धन्य बना देता है और पुण्य का संचय करता है।
माता सीता भारतीय संस्कृति में त्याग, समर्पण, शील और धैर्य की प्रतीक मानी जाती हैं। उनके जीवन से हमें सिखने को मिलता है कि एक स्त्री को अपने आदर्शों और मूल्यों पर अडिग रहना चाहिए। चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों, नारी को अपनी मर्यादा और आत्म-सम्मान को बनाए रखना चाहिए।
घमंड व्यक्ति की बुद्धि को भ्रमित कर देता है और उसे दूसरों से श्रेष्ठ समझने की भावना पैदा करता है, जिससे अहंकार उत्पन्न होता है। इतिहास गवाह है कि जिन्होंने घमंड किया, वे अंततः पराजय का सामना करते है ।