उत्तराखण्ड

बीएलओ के लिए पहली बार हो रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन

मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री ज्ञानेश कुमार और निर्वाचन आयुक्त डॉ. विवेक जोशी द्वारा आज नई दिल्ली स्थित भारत अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र एवं निर्वाचन प्रबंधन संस्थान में बीएलओ के लिए पहली बार हो रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। यह ऐतिहासिक पहल भारत की चुनावी प्रक्रिया को और मजबूत बनाएगी।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत अगले कुछ वर्षों में 1 लाख से अधिक बीएलओ को प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रत्येक 10 मतदान केंद्रों पर औसतन एक बीएलओ को शामिल कर, उन्हें सुप्रशिक्षित बनाया जाएगा ताकि वे आयोग और 100 करोड़ मतदाताओं के बीच बेहतर समन्वय स्थापित कर सकें।
बीएलओ, विधान सभा स्तर पर मास्टर प्रशिक्षकों के एक कोर समूह का निर्माण करेंगे जिससे पूरे देश में बीएलओ नेटवर्क को सशक्त किया जा सकेगा। यह चरणबद्ध तरीके से चलेगा, जिसमें पहले चरण में चुनाव वाले राज्यों जैसे बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु को प्राथमिकता दी जाएगी।
इस समय बिहार, पश्चिम बंगाल और असम के 109 बीएलओ के साथ 24 ईआरओ और 13 डीईओ इस दो दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य बीएलओ को उनके दायित्वों और निर्वाचन प्रक्रिया में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका से परिचित कराना है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950, निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम 1960 और भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुसार बीएलओ को प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि वे निर्वाचक नामावली को त्रुटि-मुक्त बना सकें। इसके लिए उन्हें संबंधित फॉर्म भरने और आईटी अनुप्रयोगों का सही उपयोग करने की जानकारी दी जाएगी।
बीएलओ राज्य सरकार के कर्मचारी होते हैं, जिन्हें डीईओ की मंजूरी के बाद ईआरओ द्वारा नियुक्त किया जाता है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने जोर देकर कहा कि राज्य सरकारों को ऐसे अधिकारियों को बीएलओ बनाना चाहिए जो उसी क्षेत्र के निवासी हों ताकि वे अपने कार्यक्षेत्र में प्रभावी रूप से काम कर सकें। संविधान के अनुच्छेद 326 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 20 के तहत केवल 18 वर्ष से अधिक आयु के नागरिक, जो संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के सामान्य निवासी हों, वे ही निर्वाचक बन सकते हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने सभी निर्वाचन अधिकारियों को निर्वाचक नामावली को सही तरीके से अपडेट करने का निर्देश दिया।
निर्वाचक नामावली को सही करने की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ईआरओ या बीएलओ के खिलाफ किसी भी शिकायत पर कड़ी कार्रवाई होगी। बीएलओ को घर-घर जाकर सत्यापन करना होगा और मतदाताओं से संवाद करते समय विनम्रता बनाए रखनी होगी।

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