ज्योतिर्मठ शङ्कराचार्य ने किया परमधर्मसंसद् का उद्घाटन
महाकुंभ नगर १० जनवरी
बीके यादव/बालजी दैनिक
जो गौहत्या से किसी भी रूप से जुडे हैं वे हिन्दू नहीं
-परमाराध्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः जी
परम धर्म संसद् 1008 में आज दिनांक 10 जनवरी 2025 को निम्नानुसार प्रस्ताव प्रस्तुत होकर पारित किए गएः-
1 धर्म संसद के समक्ष प्रस्ताव यह प्रस्तुत हुआ कि संपूर्ण मेला क्षेत्र में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के नालियों के पास असम्मानजनक तरीके से रखे गए चित्र उन्हें हटाकर सम्मानजनक तरीके से रखा जाए।
इस पर विचारोपरांत यह प्रस्ताव पारित किया गया कि देश के प्रधानमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री की गरिमा के अनुकुल इन्हें तुरंत हटाया जाकर सम्मानजनक स्थान दिया जाए।
2 प्रस्ताव धर्मसंसद के सम्मुख यह प्रस्तुत हुआ कि देश के पहले राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद जी ने वर्ष 1954 में इसी महाकुंभ मेले में एक माह का कल्पवास किया था तथा धर्मध्वज की स्थापना की थी वह वर्तमान मेले में स्थान परिवर्तित कर अन्यत्र स्थापित तत्कालीन अपमान है। यह धर्मध्वज एक राष्ट्रीय धरोवर के रूप में प्रतिष्ठापित था उस धरोहर में किसी प्रकार का परिवर्तन उचित नहीं है अतः प्रस्ताव पारित किया गया है कि धर्मध्वज की गरिमा को देखते हुए धर्मध्वज यथास्थान प्रतिष्ठापित किया जाए।
3 प्रस्ताव धर्मसंसद के समक्ष यह प्रस्तुत हुआ कि मेला क्षेत्र प्रवाहित त्रिवेणी संगम में दूषित जल होने की शिकायतें आ रही हैं और चूंकि मेले में संत महात्मा एवं श्रद्धालुजन शाही पर्व स्नान के अवसर पर एवं सामान्य तिथियों में भी आस्था की डुबकी लगाते हैं। ऐसी स्थिति में त्रिवेणी संगम का जल स्नान योग्य है या नहीं उसकी तत्काल जांच कराई जाकर यथायोग्य कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। यह प्रस्ताव पारित किया गया।
4 यह प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है कि मेला प्रारंभ होने की दिनांक 13 जनवरी है और मेले की सारी व्यवस्थाएं बहुत धीमी गति से चल रही हैं। व्यवस्थाएं यथा समय होने पर ही मेले की महत्ता एवं गरिमा स्थापित हो सकेगी तथा मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को भी असुविधाजनक स्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा अतः प्रस्ताव पारित किया गया है कि मेले की व्यवस्थाओं के सुचारू संचालन हेतु स्थापना कार्य में तेजी लाई जाए।
5 यह प्रस्तुत किया गया कि विभिन्न स्थानों पर लगे हुए विभिन्न बोर्ड एवं होर्डिंग में कुंभ मेले का वर्ष इस्वी सन 2025 उल्लेख किया गया है, उसके स्थान पर हिन्दी विक्रम संवत 2081 किया जाना चाहिए। चूंकि मेले का शुभारंभ, पर्व स्नान की तिथियां एवं अन्य सभी आयोजन हिन्दी विक्रम संवत के आधार पर ही निर्धारित होकर संचालित होते हैं अतः यह प्रस्ताव पारित किया गया है कि महाकुंभ वर्ष 2025 के स्थान पर महाकुंभ विक्रमी संवत 2081 का उल्लेख विभिन्न बोर्ड एवं होर्डिंग तथा शासकीय पत्राचार में किया जाए।
उक्त पांचों प्रस्ताव सर्वसम्मति से धर्मसंसद में पारित कर निर्देशित किया गया कि उन्हें मेला अधिकारी को भेजकर उनका पालन सुनिश्चित कराया जाए।
संसद् का उद्घाटन ध्वजारोहण से हुआ।
अग्नि अखाडा के सभापति श्री मुक्तानन्द जी महाराज ने दीप प्रज्ज्वलित कर सत्र का उद्घाटन किया।
राजगढ के धर्मांसद् मनोहर लाल जायसवाल जी की आकस्मिक मृत्यु पर शोक प्रस्ताव पारित किया गया और समस्त संसद् ने 3 बार शान्ति मन्त्र का उद्घोष करते हुए श्रद्धाञ्जलि समर्पित किया।
सुश्री गार्गी पण्डित जी, कृष्ण गोपाल पाठक जी, विकास पाटनी जी, बाबूलाल जांगीड जी, महेन्द्र भार्गव जी, सुभाष मल्होत्रा जी, मालचन्द्र जी आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।
प्रकर धर्माधीश के रूप में गुजरात से पधारे श्री किशोर दवे जी उपस्थित रहे। संसदीय सचिव के रूप में डा उमाशंकर रघुवंशी जी और उपसचिव के रूप में देवेन्द्र पाण्डेय जी और स्वामी निजानन्द गिरि जी उपस्थित रहे।
ज्ञातव्य हो कि यह परमधर्मसंसद् पूरे माघ मास पर्यन्त प्रतिदिन मध्यान्ह 12 से 3 बजे तक चलेगी और सनातन धर्म के विभिन्न विषयों/समस्याओं पर चर्चा होकर परमाराध्य शङ्कराचार्य जी महाराज द्वारा परम धर्मादेश जारी किया जाएगा।