कविता

करवाचौथ 

 

मोनिका डागा

कार्तिक मास लाया त्योहारों की धूम,

नर नारी सब हर्षित हुए नाचे गाए झूम,

कार्तिक कृष्ण पक्ष करवा चौथ आई,

खुशियों की “आनंद” सौगात संग लाई ।

 

सुहिगिनें पहने झूमके, नथनी, बिछियां,

पायल, करधनी, लाल-लाल चूड़ियां,

हाथों पांवों में सुंदर मेहंदी भी लगाएं,

मंगलसूत्र पहन सोलह श्रृंगार सजाएं ।

 

पति की दीघार्यु और स्वास्थ्य के लिए,

उपवास करती नारी सौभाग्य के लिए,

करवा चौथ मां का कथा संग हो पूजन,

सुहागिनें अर्घ्य देकर चांद के करें दर्शन ।

 

 

मंशा उन्नत हो घर की कुशल समृद्धि,

कठिन व्रत रखती नारी ह्रदय में प्रीति,

वर दो हे माता ! मैं रहूं सदा सुहागन,

खुशियों से हरा भरा हो घर आंगन ।

 

उपवास दर्शाता नारी का समर्पण,

तन-मन धन सब कुछ पूर्ण अर्पण,

नारी के मन को जो समझ पाया,

उसने धरती पर भगवान को पाया ।

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