कविता
करवाचौथ
कार्तिक मास लाया त्योहारों की धूम,
नर नारी सब हर्षित हुए नाचे गाए झूम,
कार्तिक कृष्ण पक्ष करवा चौथ आई,
खुशियों की “आनंद” सौगात संग लाई ।
सुहिगिनें पहने झूमके, नथनी, बिछियां,
पायल, करधनी, लाल-लाल चूड़ियां,
हाथों पांवों में सुंदर मेहंदी भी लगाएं,
मंगलसूत्र पहन सोलह श्रृंगार सजाएं ।
पति की दीघार्यु और स्वास्थ्य के लिए,
उपवास करती नारी सौभाग्य के लिए,
करवा चौथ मां का कथा संग हो पूजन,
सुहागिनें अर्घ्य देकर चांद के करें दर्शन ।
मंशा उन्नत हो घर की कुशल समृद्धि,
कठिन व्रत रखती नारी ह्रदय में प्रीति,
वर दो हे माता ! मैं रहूं सदा सुहागन,
खुशियों से हरा भरा हो घर आंगन ।
उपवास दर्शाता नारी का समर्पण,
तन-मन धन सब कुछ पूर्ण अर्पण,
नारी के मन को जो समझ पाया,
उसने धरती पर भगवान को पाया ।