कश्मीर की शॉल और भागलपुरी सिल्क ने लोगों को किया आकर्षित, सांस्कृतिक संध्या ने बांधा समां
प्रयागराज
05.12.2024
बीके यादव/बालजी दैनिक
उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिल्प मेले में गुरुवार को पाँचवीं शाम में सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ उन्नाव से पधारी वर्तिका राजपूत द्वारा ढोलक और दण्डताल के सुर पर वीर रस से भरा आल्हा गायन के अंतर्गत माड़वगढ़ के लड़ाई के प्रसंग को जोशपूर्ण तरीके से पेश प्रस्तुत कर श्रोताओं में उत्साह का संचार किया। इसी क्रम में लोकगीत गायिका रश्मि उपाध्याय ने भरत भाई कपि से उऋण हम नाही ,का दई के शिव का मनाई हो,हम उत्तर प्रदेश का गौरव गीत सुनाते है तथा सैंया कुंभ के मेला जयिबे की प्रस्तुति को अनूठे अंदाज में पेश कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। जबलपुर से आए मनीष अग्रवाल ने अंगना पधारो महारानी, लंका मैने नहीं जलाई तथा निर्गुण कोयलिया बोली रे. मरघट में राम का गत है और जरा हल्के गाड़ी हाँकों मेरे राम की प्रस्तुति देकर पूरे पंडाल को भक्तिमय कर दिया। लोकनृत्यों की कड़ी में उत्तराखंड से आए प्रकाश विष्ट एवं साथी कलाकारों ने जौनसारी तथा चाचरी नृत्य की प्रस्तुति दी। इसके बाद महाराष्ट्र से पधारी श्रद्धा सतविद्कर एवं दल ने महाराष्ट्र का पारंपरिक लावणी लोकनृत्य की प्रस्तुति दी। इसके अलावा तमिलनाडु से आए शिवाजी राव एवं दल ने कड़गम- पीकाक बुल नृत्य की प्रस्तुति दी, जबकि वनराज सिंह एवं दल द्वारा गुजरात का प्रसिद्ध लोकनृत्य गरबा की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन अभिजीत मिश्रा ने किया।
शिल्प उत्पाद व मैदानी कलाकार कर रहे हैं लोगों को आकर्षित- शिल्प मेले में विभिन्न राज्यों से आए शिल्पकार अपने हस्तनिर्मित उत्पादों से लोगों को खूब आकर्षित कर रहे हैं। गुरुवार को मेले में काफी भीड़ रही। कश्मीर के शॉल, जयपुरी रजाई, भागलपुरी सिल्क तथा लखनऊ के वाहिद की बिरयानी ने लोगों को आकर्षित किया। वही मैदानी कलाकारों में राजस्थान का नटबाजी एवं बीन वादन प्रयागवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र है।