अयोध्याउत्तर प्रदेश

रामकथा श्रवण से संस्कार का जन्म होता है और चरित्र निर्माण में सहायक होता है – राधेश्याम शास्त्री

अयोध्या में भक्तगण कर रहे राम कथा श्रवण का अमृतपान

बलराम मौर्य/ बालजी दैनिक
अयोध्या धाम l श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के तत्वावधान में श्रीराम जन्मभूमि परिसर के अगंद टीला पर स्थित कथा मंडप में कथा व्यास राधेश्याम शास्त्री के श्रीमुख से हो रही कथाअमृत व्याख्यान के तृत्तीय दिवस पर ज्ञान विज्ञान , धर्मकर्म और मोक्ष के साथ भगवान भोलेनाथ और माता सती के प्रसंगों की सुंदर व्याख्या हुई। विज्ञान तथ्य बताता है,वेद रामायण, मानस और हमारे श्रृषि मुनियों ने तत्व बताया है। राम सत्य हैं,वह नही बदल सकते हैं। आज अमीरी के साथ वैचारिक दरिद्रता बढ़ी है। शंकर जी हृदय प्रधान और सती बुद्धि प्रधान हैं। विज्ञान ने संसाधन बढ़ाया पर संस्कारों को घटा दिया। आज संसाधन बढ़ते जा रहे हैं पर संस्कार घटते जा रहे हैं। रामकथा संस्कार को जन्म देती है। हमे संस्कृति और संस्कारों को अक्षुण रखना है तो अपने धर्मग्रंथो अपने महापुरुषों के द्वारा बतायें गये सदमार्ग का अनुसरण करना होगा। भय से हमारे धर्म की हानि होती है। भयभीत व्यक्ति सत्य की रक्षा नही कर सकता है। जो निर्भय होगा वही सत्य और धर्म की ओर ले जायेगा उसके द्वारा ही धर्म संस्कृति संस्कार बल प्राप्त होता है। आज धर्म और सत्य के प्रति निष्ठा पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है। राम लला के अस्तित्व पर प्रश्न चिंह खड़े करने वालो का हश्र जगजाहिर है। विरोध करने वाले कहीं के नही रहे। भगवान राम लला आज अपने अधिष्ठान पर दर्शन दे रहे हैं। अंग्रेजी तिथि एक जनवरी का सनातनी और भारतीयकरण हो रहा है। लोग ताज और गोवा से दूर होकर रामलला की जन्मभूमि पर पहुंच कर राममय हो रहे हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र द्वारा मंदिर निर्माण की लगातार हो रही प्रगति प्रशंसनीय है। भक्तों को प्राप्त हो रही सुविधा से राम लला प्रसन्नचित हैं। भक्तों का ध्यान रखना ही भगवद्ग प्राप्ति है। श्रीराम जन्मभूमि मात्र एक है,मंदिर राम जी के कंही भी निर्माण हो सकते लेकिन रामजन्मभूमि इसी पवित्र भूमि पर विराजमान है और नित्य भव्यता प्राप्त करती जा रही है। फल प्रदान करने वाले दो प्रकार के होते हैं जिसकी व्याख्या करते कथाव्यास कहते हैं जो लोग अपना धन वस्तु छिपाकर रखते वह एक निकल जाता लेकिन जो कथा प्रवचन भोजन भंडारा और असहायों का सहयोग और दान करते हैं उन्हे प्राप्त धन में वृद्धि होती है। श्रद्धा के आने से संतोष और आनंद की प्राप्ति होती है। संत तुलसी दास नारी विरोधी बताने वालों को कटघरे में खड़ा करते हुये कहा संत तुलसी दास जी नारी का बहुत सम्मान किया उनपर उंगली उठाने वाले अल्पज्ञानी हैं।श्रीरामचरित में भोलेनाथ और सती की कथा को विस्तृत रूप से सुनाया और भजन से श्रोताओं को झंकृत कर दिया। कृपा और करुणा के कारण ही कथा और गंगा जी के स्नान का सौभाग्य प्राप्त होता है। युवा और बच्चों को संस्कार देना आवश्यक, एक प्रसिद्ध सिने कलाकर का उधारण देते हुये उन्हों ने कहा घर का नाम रामायण बच्चों का नाम लव कुश और जब उनकी पुत्री से पूछा गया कि मेघनाथ ने शक्ति वांण किसको मारी तो वह असहज निरूउत्तर हो गयी। कहने का तात्पर्य यही है कि बच्चों को श्रीराम जी की कथा सुनवाईये तब संस्कार प्राप्त होगा नाम रख लेने मात्र संस्कार हमारे अंदर नही आ सकते उसके लिये कथा रुपी ज्ञान गंगा में डुबकी लगानी होगी। कथा पंडाल में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चम्पत राय ,मुथुड फाइनेंस कम्पनी के चेयरमैन एलेक्जेंडर ,सी वो आसुतोष , ओजस्वी युवा वक्ता संत दिवाकराचार्य , भाजपा नेता विनोद जायसवाल,संघप्रचारक नरेन्द्र डाक्टर चंद्रगोपाल पांडेय, पवन तिवारी आदि ने भक्तों के साथ उपस्थित होकर कथा श्रवण किया।

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