उत्तर प्रदेशप्रयागराज

Maha Kumbh: एक अद्भुत अनुभव

इटली की एंजेला बनीं साध्वी अंजना गिरि

कुम्भ नगर से प्रियांशु द्विवेदी की रिपोर्ट – प्रयागराज , 10 जनवरी: यूपी के प्रयागराज में महाकुंभ मेला 2025(Maha Kumbh) का आयोजन 13 जनवरी से शुरू होने जा रहा है. गंगा, यमुना एवं अदृश्य सरस्वती के पावन संगम की रेती पर 12 वर्षों के पश्चात होने वाला यह मेला दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक आयोजन माना जाता है. इस बार महाकुंभ में सनातन धर्म का सबसे बड़ा समागम भी होगा, जिसमें देश-विदेश से साधु-संत, सन्यासी और श्रद्धालु अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे.

महाकुंभ में अनोखे संतों की उपस्थिति

महाकुंभ(Maha Kumbh) में जहां साधु-संत अपनी साधना और तपस्या के माध्यम से दुनिया के कल्याण की कामना करेंगे, वहीं कई चमत्कारिक और अलौकिक संत भी अपने अनोखे अंदाज में भक्ति करते हुए देखे जा सकते हैं. इसी कड़ी में अटल अखाड़े की अंजना गिरी का नाम खासा चर्चा में है.

Maha Kumbh

इटली से भारत तक का सफर: अंजना गिरि की कहानी

अटल अखाड़े की अंजना गिरि, जो पहले एंजेला के नाम से जानी जाती थीं, सालों पहले इटली से भारत आईं और यहां आकर सनातन धर्म को अपना लिया. अपनी यात्रा के बारे में अंजना गिरि कहती हैं, “यह केवल एक मेला नहीं, बल्कि प्रेम और ऊर्जा का बड़ा संगम है. यह भगवान और परिवार का मेला है, जहां हर कोई आनंद में रहता है.”

Maha Kumbh

डिजिटल संत: मौनी बाबा रामानुजपुरी

महाकुंभ(Maha Kumbh) में उदयपुर, राजस्थान से आए मौनी बाबा रामानुजपुरी जी महाराज भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. झीलों के शहर उदयपुर से आए ये अनोखे संत पिछले 12 वर्षों से मौन धारण किए हुए हैं. उनका संचार माध्यम भी बेहद आधुनिक है. मौनी बाबा के पास कोई कॉपी-कलम नहीं, बल्कि स्मार्ट डिजिटल बोर्ड है, जिस पर वह लिखकर अपनी आवश्यक बातें शिष्यों को बताते हैं. मौनी महाराज के शिष्य के अनुसार “महाराज जी का मौन धारण करने का उद्देश्य सनातन धर्म का उत्थान एवं इसके प्रति फैली बुराइयों को दूर करना है.”मौनी बाबा का मानना है कि जब तक भारत में मौजूद सभी मुस्लिम सनातन धर्म स्वीकार नहीं कर लेते, तब तक वह मौन व्रत नहीं तोड़ेंगे.

प्रयागराज महाकुंभ 2025(Maha Kumbh) एक ऐसा आयोजन बनने जा रहा है, जिसमें सनातन धर्म के अद्वितीय स्वरूप और भारतीय संस्कृति की महत्ता को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया जाएगा. यह मेला न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र होगा, बल्कि पूरी दुनिया के लिए भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का अद्भुत अनुभव भी प्रदान करेगा.

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