एक्स’ पर शेयर की गयी शिकायतों की रिप्लाई नहीं देता मीडिया सेल

फरियादियों की कंप्लेन पर सिर्फ निर्देश की घुट्टी दे रही गोंडा पुलिस
अनिल कुमार द्विवेदी
बी न्यूज दैनिक
गोण्डा। पुलिस अफसरों के पास अक्सर दूसरे पक्ष के दबाव में एफआईआर न दर्ज करने का आरोप फरियादी लगाते हैं। शिकायत करने पर लोकल पुलिस किसी न किसी लाभ के चक्कर में फरियादी की पीड़ा को अनसुनी कर देती है। कई बार पुलिसकर्मी विपक्षी से बात करके मामले को निपटाने का आश्वासन देते हैं। इसलिए उनकी कोशिश रहती है कि थाने पर एफआईआर लिखने के बजाय मामले में सुलह करा दी जाए।
पुलिस की अनदेखी से बड़ी संख्या में मामले पेंडिंग
केस-1
शहर के गुरु नानक पुलिस चौकी के सामने रोडवेज बस स्टैंड के निकट सड़क पर अवैध बस व टैक्सी स्टैंड चल रहा है। इससे आमतौर पर हाईवे पर खड़े वाहन आने-जाने वालों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और दुर्घटनाओं का भी शिकार होना पड़ता है। ट्विटर (एक्स) के माध्यम से पुलिस अफसरों से सड़क पर अवैध बस और टैक्सी स्टैंड से मुक्ति दिलाने के लिए आवाज उठाई जाती है, लेकिन इसका समाधान नहीं किया जा रहा है। यूपी पुलिस और गोंडा पुलिस ने ट्विटर (एक्स) पर जवाब दिया कि मामले में जांच व कार्रवाई के लिए यातायात प्रभारी निरीक्षक को निर्देशित किया गया है।
केस-2
वजीरगंज थाना क्षेत्र में दो माह पहले एक व्यक्ति की नाबालिग लड़की का अपहरण हो जाता है, जिसकी गुमशुदगी थाने में दर्द होती है। पीड़ित बेटी की बरामदगी के लिए अपनी फरियाद लेकर वजीरगंज थानाध्यक्ष अभय सिंह के पास पहुंचता है तो थानाध्यक्ष उसे मां-बहन की गालियां देकर थाने में जूते से मारेंगे, कहकर भगा देने की बात कही जाती है, जिसका ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद भी पुलिस अधीक्षक ने कोई कार्रवाई नहीं की। पीड़ित ने एसपी के दरबार में भी न्याय की गुहार लगाई और वायरल ऑडियो की खबर कई अखबारों में प्रकाशित हुई, लेकिन इसके बाद भी पीड़ित की कोई सुनवाई नहीं हुई। प्रकाशित खबरों को एक्स पर भी आईजी व एसपी समेत अन्य उच्चाधिकारियों को टैग कर शेयर किया गया, लेकिन गोण्डा पुलिस द्वारा इसका रिप्लाई तक नहीं दिया गया। गोंडा पुलिस पिछले कुछ महीने से एक्स पर रिप्लाई ही नहीं दे रही है। ट्विटर को इग्नोर कर दिया जाता है। वहीं राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री, मु्ख्यमंत्री, डीजीपी व एडीजी के यहां से तो ट्विटर पर रिप्लाई आती रहती है, लेकिन गोंडा पुलिस ट्विटर पर रिप्लाई देने में अपनी तौहीन समझती है। यह सिर्फ पब्लिक की पीड़ा नहीं, बल्कि पुलिसिया लापरवाही की बानगी भी है। रोजाना थानों में आने वाले दर्जनों मामलों पर जब कार्रवाई नहीं होती है तो पीड़ित अपनी बात ट्विटर पर साझा करते हैं। यहां भी जांच व कार्रवाई के नाम पर सिर्फ निर्देश देने की खानापूर्ति की जा रही है, जबकि अफसर बार-बार कह रहे हैं कि थानों पर ही पब्लिक की सुन ली जाए और न्याय दिलाई जाए। तहरीर मिलने पर केस दर्ज करके विवेचना की जाए। मामला फर्जी मिले तो केस खत्म करके झूठी सूचना देने वालों पर कार्रवाई हो, पर तमाम हिदायतों के बाद भी पीड़ितों को गोंडा पुलिस न्याय नहीं दे पा रही है।वरिष्ठ अफसरों से शिकायत की जाती है कि थाने पर उनकी नहीं सुनी जा रही है, तो वे पीड़ितों को दोबारा थाने की ही राह दिखा देते हैं, जिससे पब्लिक परेशान रहती है।
फैक्ट एंड फीगर
औसतन हर रोज अफसरों के पास 50 से अधिक मामले पहुंचते हैं। एसपी, एएसपी, आईजी के यहां लोग गुहार लगाते हैं। पुलिस के ट्विटर, वाट्सएप ग्रुप पर शिकायत करने की व्यवस्था है। जनसुनवाई पोर्टल पर भी लिखित आवेदन कर सकते हैं। जिले में हर स्तर पर रोजाना औसतन 100 कंप्लेन हो रही है। सभी थानों पर पीड़ितों की शिकायतों का तत्काल समाधान करने के निर्देश दिए गए हैं।साथ ही ट्विटर पर कोई भी शिकायत आती है तो मीडिया सेल में बैठे गोंडा पुलिस के कर्मचारी संबंधित थाने और अफसरों को भेजने के बजाय उसे इग्नोर कर देते हैं, ताकि उस मामले में कोई त्वरित कार्रवाई न हो सके और अपराध का ग्राफ योगी सरकार को बढ़ता न दिखाई दे।