धम्मचक्र अनुवर्तन दिवस पर पूज्य भिक्खू संघ द्वारा विश्व शान्ति, करुणा, मैत्री का संदेश
अशोकाविजयदशमी पर हुआ शान्ति, करूणा व मैत्री का संदेश
भिक्खु संघ ने नगर के मुख्य मार्गो पर किया पद धम्म संचरण
भगवान बुद्ध के वचनों के पवित्र पुस्तक संग्रह धम्मपद पावन संघ को किया गया दान
अनिल सिंह/ बालजी दैनिक
प्रतापगढ। समन्वय उपासिका संघ के तत्वाधान में आयोजित जनपद के सई नदी के तट पर स्थित सुगतानन्द बुद्ध विहार पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने प्रियदर्शी सम्राट अशोक विजय दशमी श्रद्धा,संकल्प व उल्लास के साथ मनाया । इस अवसर पर पावन बुद्ध विहार में बड़ी संख्या में पावन भिक्खु संघ के आगमन पर श्रद्धालुओं द्वारा भोजन दान, संघदान के साथ त्रिशरण,पंचशील ,परित्राण पाठ व धम्मदेशना का कार्यक्रम किया गया ।
पावन संघ का नेतृत्व कर रहे भिक्खु धम्मदीप ने अपने गौरवशाली संस्कृति को जानने उन संस्कारों से जुड़ने पर बल देते हुए सम्राट अशोक महान के कलिंग युद्ध के बाद धम्म दीक्षा के बाद वैभवशाली राष्ट्र के निर्माण व भगवान बुद्ध के विचार से विश्व शांति में सम्राट अशोक के हृदय परिवर्तन व भगवान् बुद्ध के विचारों की प्रासंगिकता पर विस्तार से चर्चा किया ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बहन लीलावती ने कहा कि प्रियदर्शी सम्राट अशोक महान ने भंते मोग्गालिपुत्ततिष्य से धम्म की शिक्षा प्राप्त की थी। इस धम्म दीक्षा के बाद, अशोक ने अपनी प्रजा का दिल बल या शस्त्र के माध्यम से नहीं बल्कि करुणा, मुदिता व प्रेम के माध्यम से जीतने की प्रतिज्ञा की।
संचालन करते हुए राकेश कनौजिया ने कहा कि ऐसे समय में जब पश्चिम एशिया और यूरोप इजरायल -फिलिस्तीन– ईरान तथा रूस- यूक्रेन के बीच युद्धों से त्रस्त हैं, युद्ध की निरर्थकता, जैसा कि अशोक ने कलिंग युद्ध के दौरान देखा था, प्रासंगिक रूप से उभर कर सामने आती है और एक संदेश विश्व शान्ति के रूप में कार्य करती है।
इसके पूर्व पावन संघ के आगमन पर उपासक वेद प्रकाश के नेतृत्व में डाक्टर आंबेडकर चौराहे पर भव्य स्वागत किया गया । तत्पश्चात पावन संघ ने नगर के मुख्य मार्ग से शांती ,करूणा,मैत्री का संदेश देते हुए चौंक घंटाघर होते हुए पदयात्रा कर सुगतानन्द बुद्ध विहार में समन्वय सेवा संस्थान उपासिका संघ द्वारा आयोजित भोजनदान, संघदान व धम्मदेशना में अपनी मंगल मैत्री का संदेश दिया । इस पुनीत अवसर पर भगवान बुद्ध के वचनों के पवित्र पुस्तक संग्रह धम्मपद पावन संघ को किया गया दान ।
सुरेन्द्र कुमार विमल ने कहा कि इसी दिन 14 अक्टूबर 1956 को आश्विन मास विजयादशमी पर, डॉ. भीम राव अंबेडकर और उनके साथ लाखों बौद्ध अनुयायी के साथ बौद्ध धर्म अपना गौरवशाली संस्कृति व अध्यात्मिक दर्शन को पुनर्स्थापित किया इसलिए इस ऐतिहासिक दिन को प्रतिवर्ष “धम्म चक्र अनुवर्तन दिवस” के रूप में भी मनाया जाता है ।
आभार निर्मला विजय व अनीता बौद्ध द्वारा संयुक्त रूप से व्यक्त किया गया ।
इस अवसर पर श्री राम उमर वैश्य,इं०श्वेता प्रभात, शोभा कनौजिया, शशि विमल,डा विजय सरोज, संजय रंजू बौद्ध, रामप्यारी, सरिता कुमारी, पुष्पा परी,प्रगति सिंह ,उन्नति सिंह,सुनीता,मंजू राजा,रेनू ,आरती ,दुर्गावती, खुशबू यादव,अंजलि, पारुल,ज्ञानेश मौर्य, शुभम् सिंह, उधम सिंह,अमित कुमार,उमेश गौतम, सुरेश विश्वकर्मा, संजय,विनोद,उमेशचंद्र, दिनेश, सी पी राव,रन्नो, प्रभात,बृजेश, निर्मला, मृत्युंजय, शाश्वत, सम्यक विमल,राम लखन,गया प्रसाद स्वावलंबी,आरती विजय शंकर, भागीरथी सरोज,सुमित, शक्ति आरती, मनीष नेहा,प्रियांशु,ओमप्रकाश, भारत लाल, संजय, पुष्पा, आरती, दुर्गावती, खुशबू,प्रमोद प्रखर, वीनू मौर्य, ज्ञानेश्वर सिंह, देवंशी, ईस्वी,पारुल,मंजू, आचार्य राजीव अनीता,नंदलाल, अनुराग भारतीय,रामबरन,उदयराज, राकेश, संतलाल, प्रताप लीना चौधरी, विवेक, विशाल,संतोष चौधरी,फूलचंद, बृजेश, दुर्गेश, पूर्णमासी, रामस्वरूप, साहब लाल, धर्मराज मौर्य, अनुराग, प्रज्ञामित्र राजेन्द कुमार बौद्ध , सालिक राम आदि।