उत्तर प्रदेशप्रयागराज

कलाग्राम में नवदीप वडाली की सुरमयी प्रस्तुति ने बांधा समां

महाकुंभ नगर १४ फरवरी

बीके यादव/बालजी दैनिक

लोकनृत्यों पर दर्शकों ने मिलाया ताल

खचाखच भरे कलाग्राम में सुरों का संगम था, हर कोई सुरों की सरिता में गोता लगाने को बेताब था मौका था संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कुंभ के तहत तीन दिनों के बाद शुक्रवार को गीत, संगीत, नृत्य से सजा भव्य कलाग्राम मंच सिंगिग रियलिटि शो इंडियन आइडल- 13 में अपनी गायिकी का जादू बिखेर चुके नवदीप वडाली के नाम रहा। उन्होंने एक से बढ़कर एक भजनों की लड़ी पेश कर श्रोताओं को खूब झुमाया। तालियों की गूंज के बीच उन्होंने मां गंगा की धरती प्रयाग को नमन करते हुए अपने कार्यक्रम की शुरूआत की। नवदीप ने अपने बैंड के साथ बेहतरीन प्रस्तुति दी। उन्होंने चलो मन गंगा यमुना तीर गंगा यमुना निर्मल पानी शीतल होत शरीर से कार्यक्रम की शुरुआत की। शिव शंकर भोला भाला, संसार के लिए, शिव तेरी हो गई मैं, बम भोले बम भोले बम्म बम्म बम्म…..की प्रस्तुति देकर पूरे परिसर को शिवमय कर दिया। इसके बाद सूफियाना अंदाज में नी सैयो मैं सुहागन हो गई ,तू माने या ना दिलदारा, अखियां उडीकदिया जैसे गीतों को पेश कर श्रोताओं में उत्साह भर दिया। वडाली के गीतों को सुनने के लिए देर रात तक श्रोता अपने कुर्सियों पर डटे रहे। ग्लोबल इंडियन म्यूजिक पुरस्कार से सम्मानित दिल्ली से आई विधि शर्मा ने शिव कैलाशों के वासी, सुंदर सजा है प्रयागराज, अच्युतम केशवम् तथा जन था गंगा पार प्रभु केवट की नाव चढ़े की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को अपनी मधुर आवाज से मंत्रमुग्ध कर दिया। झारखंड से आई शालिना चतुर्वेदी व साथी कलाकारों द्वारा महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कालजयी रचना राम की शक्तिपूजा पर आधारित कथक नृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों को भावविभोर किया। “सुरमनी” की उपाधि से सम्मानित दिल्ली की सितार वादक अनुपमा भागवत ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध एवं मधुर ध्वनि प्रस्तुत की उन्होंने सितार पर भारतीय शास्त्रीय संगीत के कई टुकड़े पेश किए और अपनी शानदार ध्वनि से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अनुपमा ने अपने प्रदर्शन की शुरुआत ‘राग बेहाग’ से की, जो एक रात्रिकालीन राग है जो सौंदर्य की भावना पैदा करता है। इसमें उन्होंने ‘अलाप’ से शुरुआत की, फिर ‘जोर’ और ‘झाला’ गाया। इसके बाद राग ‘रागेश्री’ गाया जो एक तेज़ रचना थी और ‘छाप तिलक’, जो बहुत लोकप्रिय सूफी गीत का वाद्य रूपांतर था।
लोकनृत्यों की कड़ी में विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने रंग-बिरंगे परिधानों में ढोल, मंजीरे और बांसुरी की धुन पर ओडिशा का घंटा और मृदंग नृत्य, तमिलनाडु का ओलियट्टम नृत्य, राजस्थान का कच्ची घोड़ी नृत्य, त्रिपुरा का मोगनृत्य तथा पंजाब का भांगड़ा की प्रस्तुति देकर दर्शकों में जोश और उमंग का संचार किया। कार्यक्रम का संचालन संजय पुरषार्थी ने किया।

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