नवरात्री विशेष : उत्तराखंड की रक्षक माँ धारी देवी की महिमा

अनीता तिवारी , बालजी दैनिक
देहरादून , 3 अक्टूबर , आज तक आपने माता के कई चमत्कारी मंदिरों के बारे में सुना होगा। लेकिन आज हम आपको उत्तराखंड के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां माता की मूर्ति दिन में 3 बार अपना रूप बदलती है। जो देवभूमि की रक्षक हैं उनका नाम है मां धारी देवी , माता का मंदिर पानी की गहरी धारा में स्थापित हैं जो अपने आप में एक दिव्य स्थान बन गया है और जब माता का स्थान परिवर्तन किया गया तभी आया था केदारनाथ में भीषण जलप्रलय
ऋषिकेश बद्रीनाथ हाईवे पर श्रीनगर गढ़वाल से करीब 13 किलोमीटर दूर अलकनंदा नदी किनारे मां धारी देवी का मंदिर है। जो कि सिद्धपीठ है। मंदिर को चमत्कारी माना जाता है। सबसे बड़ा चमत्कार मां की मूर्ति को लेकर है। मान्यता है कि मां का स्वरुप दिन में तीन बार बदलता है। प्रतिमा सुबह एक बच्चे के समान, दोपहर में युवा स्त्री की झलक और शाम होते-होते प्रतिमा बुजुर्ग महिला जैसा रूप धर लेती है। जिस वजह से यहां चारों धाम यात्रा करने आने वाले श्रद्धालु और कई लोगों की मां पर आस्था है।
आदि शक्ति जगत् जननी माता जगदंबा के विराट स्वरूप माँ धारी देवी को शास्त्रों में ‘माँ श्मशान काली’ ‘महाकाली’, ‘दक्षिण काली’ आदि अनेक नामों से जाना जाता है। बद्रीनाथ, ‘केदार नाथ’ धाम की यात्रा’ करने से पहले यात्री मां धारी देवी का आशीर्वाद लेकर यात्रा की शुरुआत करते हैं।कहा जाता है कि राजा अजयपाल पंवार ने धारी देवी के आर्शिवाद से ही 52 गढ़ों को हराकर गढ़वाल की स्थापना की थी। आदि गुरु शंकराचार्य जी, जिन्हें वैधों ने लगभग मरा हुआ ही मान लिया था, धारी देवी की शरण में आने के बाद ही स्वस्थ्य हो गये और उन्होंने चार धामों की स्थापना की।
यह मंदिर नदी के बीचो-बीच बनाया गया है, जहां से आपको उत्तराखंड के खूबसूरत नजारे नजर आएंगे। माना जाता है कि माता की मूर्ति पौराणिक काल में बाढ़ में बह कर धारी गांव के पास एक चट्टान के पास रूक गई थी। जिसके बाद वहीं पर माता का मंदिर बनाया गया। नवरात्रों के दौरान धारी देवी मंदिर का नजारा काफी आकर्षक होता है।धारी देवी को पहाड़ों, तीर्थयात्रियों और चारों धाम की संरक्षक मानी जाती है। मान्यता है कि उत्तराखंड के चारों धाम, गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम व भक्तों की वह रक्षा करती हैं।