पालि के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व को बताया गया
पालि पखवाड़े में किया गया लोगो जागरूक
अनिल सिंह/ बालजी दैनिक
प्रतापगढ। समन्वय सेवा संस्थान के तत्वाधान में भारत की प्राचीनतम भाषा पालि के संरक्षण व संवर्धन हेतु 17 सितंबर से 1 अक्टूबर तक चलाए जा रहे पालि पखवाड़े का समापन हुआ। इस पखवाड़े के बारे में कार्यक्रम संयोजक राकेश कुमार कनौजिया ने बताया कि अनागरिक धम्मपाल की जयंती व विपश्यनाचार्य गुरु सत्यनारायण गोयनका की पुण्यतिथि पर गोष्ठियां आयोजित की गयी जिसमें उनके द्वारा पालि भाषा में किए गए योगदानों पर चर्चा व चिन्तन किया गया साथ ही प्रतिदिन ऑनलाइन परित्राण पाठ से लोगो को जोड़ा गया । पालि भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए क्लासिकल भाषा के रूप में मान्यता देने की भारत सरकार से मांग भी की गई । कक्षाओं को संचालित कर पालि भाषा के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व को बताते हुए आने वाली पीढियां को उन्हें प्रारंभिक पालि लिपि का ज्ञान भी कराया गया। ज्ञातव्य है कि जनपद के पालि भाषा के संवर्धन व संरक्षण के अभियान में लगे धम्म बंधुओ ने मुहिम चलाकर आगामी उ0 प्र0 बोर्ड परीक्षा 2025 में पालि विषय से आवेदन कर परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं । जिसमे से आचार्य डॉ0शिव मूर्ति लाल मौर्य, डा0 दयाराम मौर्य “रत्न”, बहन लीलावती सरोज,आचार्य उमेश चंद्र, शोभा कनौजिया, आचार्य राजीव अनीता ,अंजनी अवधेश सुशील कुमार”दद्दू”,वेद प्रकाश, डॉक्टर विजय सरोज, दीपशिखा संजय, मनीष रंजन, आर.बी.मौर्य, विजय आरती, रंजू संजय,धर्मराज आदि प्रमुख हैं ।