Obesity Side Effects: आपके शरीर का इंजन जाम कर रहा है मोटापा
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Obesity Side Effects: सबसे ज्यादा युवा जनसंख्या वाला देश भारत विश्व के लिए भविष्य की आशा और आर्थिकी का इंजन है, मगर तब क्या होगा जब यह इंजन अपने ही ईंधन को अच्छी तरह से जलाने में असमर्थ होकर जाम होने लगें? द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ की एक रिपोर्ट तो कुछ ऐसी ही आशंका जताती है। इसके अनुसार, भारत में पिछले दशक में मोटापे की दर में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। अब लगभग 40 प्रतिशत वयस्क भारतीय मोटापे के साथ जी रहे हैं। एक ऐसे देश में, जहां की समृद्ध परंपरा, सनातन धर्म और जीवनशैली में शरीर को ‘मंदिर’ और अन्न को ‘ब्रह्म’ की संज्ञा दी गई है, वहां स्वास्थ्य में यह विचलन निश्चित रूप से चिंताजनक है, क्योंकि यह डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज जैसे गंभीर जीवनशैली विकारों से जुड़ा हुआ है।
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इसी संदर्भ में देहरादून, उत्तराखंड में राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण का एक अंश युवाओं के बीच बहुचर्चित और इंटरनेट मीडिया पर प्रचलित हुआ है। कई सेलेब्रिटीज, चिकित्सक, स्वास्थ्य एवं फिटनेस विशेषज्ञ, अभिनेताओं से लेकर पाडकास्टर तक इस मुद्दे पर एकमत होकर सामने आ रहे हैं। लगभग एक पखवाड़े पूर्व ‘फिट इंडिया’ के इस उद्बोधन में प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘हमारे देश में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। हर आयु वर्ग और यहां तक कि युवा भी इससे बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।
यह चिंता का विषय है क्योंकि मोटापा मधुमेह, हृदय रोग आदि के जोखिम को बढ़ाता है। आज मैं देशवासियों से दो चीजों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहना चाहता हूं। पहला, हर दिन कुछ समय निकालें और व्यायाम करें। चलने से लेकर कसरत करने तक, जो भी संभव हो करें। दूसरा, अपने आहार पर ध्यान केंद्रित करें। अपने भोजन में अस्वास्थ्यकर वसा और तेल को कम करें। हर महीने जो तेल हम उपयोग करते हैं, उसकी मात्रा 10 प्रतिशत कम करें। ऐसे छोटे कदम आपके स्वास्थ्य में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।’
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आज के युवा और किशोर भलीभांति जानते हैं कि घर का बना ताजा भोजन और प्रकृति से मिले आहार के उपहार ही सर्वश्रेष्ठ हैं। औसत भारतीय थाली में नाममात्र के छौंक के साथ उबालकर पकाई गई दाल, भाप में पके चावल, कम तेल-नमक में बनी स्वादिष्ट मौसमी सब्जी-साग, सिंकी हुई रोटियां, सलाद-चटनी हो या आग में पकी लिट्टी और उबला-भुना मसला हुआ चोखा, नाश्ते में पोहा, दलिया, उपमा, इडली हो या कार्नफ्लेक्स और शाम अथवा देर रात की फूड क्रेविंग के लिए ताजे मौसमी फल, आज के युवाओं और किशोरों को हर बात का ज्ञान है।
इंटरनेट पर इंटरनेशनल एक्सपोजर की वजह से वे यह भी जानते हैं कि असली बर्गर का अर्थ तली हुई आलू की टिकिया, पास्ता का अर्थ ढेर सारा मेयोनीज-क्रीम या चाइनीज का अर्थ ढेर सारा तेल-मसाला-रंगीन सास नहीं होता है बल्कि इन विदेशी व्यंजनों के असली प्रारूप में खूब सारी कच्ची अथवा उबली सब्जियां भी शामिल होती हैं। वाकई यह पीढ़ी ज्ञान से भरी और संघर्ष से तपी हुई है। इसने कम उम्र में वह सब देख-सीख लिया है जिसे जानने में पिछली पीढ़ियों की जिंदगी गुजर जाती थी। बस अब इसके लिए वक्त है संपूर्ण स्वास्थ्य की दिशा में ठोस कदम उठाने का, सही आहार-विहार-दिनचर्या से काया को कुंदन बनाने का।