उत्तर प्रदेशसीतापुर
देवगंवा पहुंचते ही पुष्पवर्षा से हुआ चौरासी कोसी परिक्रमा का भव्य स्वागत।

ब्यूरो रिपोर्ट अनूप पाण्डेय
सीतापुर जनपद में सनातन संस्कृति की अखंड आस्था और अनवरत श्रद्धा का प्रतीक चौरासी कोसी परिक्रमा भक्ति, उल्लास और दिव्यता के संग षष्ठम पड़ाव देवगंवा पहुंची। जैसे ही परिक्रमा देवगंवा की पावन धरा पर पहुंची, श्रद्धालुओं और प्रशासन ने पुष्पवर्षा कर, जयघोष के साथ भव्य स्वागत किया। पूरा क्षेत्र राम नाम के उद्घोष, शंखनाद और घंटे-घड़ियालों की मंगल ध्वनि से भक्तिरस में डूब गया।
परिक्रमा के देवगंवा पहुंचने पर श्रद्धालु और प्रशासनिक अधिकारी परिक्रमार्थियों की अगवानी के लिए आतुर दिखे। मिश्रिख उपजिलाधिकारी, क्षेत्राधिकारी और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने परिक्रमार्थियों पर पुष्पवर्षा कर, माल्यार्पण किया और स्मृति चिह्न भेंट कर अभिनंदन किया।
इस भव्य पड़ाव पर परिक्रमा समिति के अध्यक्ष महंत नारायणदास, सचिव महंत संतोष दास, व्यास पीठाधीश अनिल शास्त्री, महंत रंजीत शास्त्री, मंत्री महंत प्रीतमदास, विमल बजरंगी समेत अन्य संत-महंतों का प्रशासन की ओर से भव्य स्वागत किया गया।
परिक्रमा मेला का घोड़ा और डंका जैसे ही देवगंवा की सीमा में गूंजा, क्षेत्र के जनमानस में आस्था और श्रद्धा की लहर दौड़ गई। श्रद्धालुओं ने भक्ति और उल्लास के साथ जय श्रीराम का उद्घोष करते हुए परिक्रमार्थियों का स्वागत किया। परिक्रमा के इस दिव्य पड़ाव पर गाजे-बाजे, शंखनाद और संकीर्तन मंडलियों के स्वर संपूर्ण वातावरण में गूंज उठे।
संत-महंतों और परिक्रमार्थियों ने राम नाम संकीर्तन का ऐसा दिव्य प्रवाह प्रवाहित किया कि हर भक्त आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्ति के आनंद में डूब गया। हरिनाम संकीर्तन, भजन-कीर्तन और प्रभु श्रीराम के गुणगान ने श्रद्धालुओं को भक्तिरस से सराबोर कर दिया। हर संत-महंत प्रभु भक्ति में मग्न हो मुस्कुरा रहे थे, मानो प्रभु श्रीराम की कृपा दृष्टि सब पर बरस रही हो।
श्रद्धालुओं ने ध्वज पताकाएं फहराते हुए, गाजे-बाजे के साथ भजन-कीर्तन करते हुए परिक्रमा मार्ग पर प्रभु श्रीराम की महिमा का गुणगान किया। परिक्रमा मार्ग पर प्रशासनिक व्यवस्थाएं चाक-चौबंद दिखीं। श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए पेयजल, चिकित्सा, यातायात और सुरक्षा की पूरी व्यवस्था की गई थी।
मिश्रिख उपजिलाधिकारी और क्षेत्राधिकारी ने यात्रा मार्ग की सुरक्षा और समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की, जिससे परिक्रमा सुगमता से आगे बढ़ सके। श्रद्धालुओं के लिए विश्राम स्थल, प्रसाद वितरण और जलपान की व्यवस्था भी की गई थी ताकि वह बिना किसी कठिनाई के अपनी यात्रा पूरी कर सकें। चौरासी कोसी परिक्रमा का यह पड़ाव इतना दिव्य और भव्य था कि श्रद्धालुओं का उत्साह और उमंग अपने चरम पर दिखा। परिक्रमार्थियों में बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग सभी सम्मिलित थे, जो प्रभु श्रीराम की भक्ति में रमे हुए थे। हर कोई परिक्रमा में शामिल होकर स्वयं को धन्य मान रहा था। श्रद्धालु रामधुन गाते हुए, भजन कीर्तन करते हुए, जय श्रीराम का उद्घोष करते हुए आगे बढ़ रहे थे। रास्ते में श्रद्धालुओं के लिए जगह-जगह जलपान, प्रसाद वितरण और विश्राम की व्यवस्था भी की गई थी। सेवाभावी संगठनों और भक्तों ने तन-मन-धन से सेवा कर पुण्य अर्जित किया। सनातन धर्म की यह अखिल पवित्र परंपरा अनवरत अपने अगले पड़ाव मडरूवा की ओर अग्रसर हो रही है। राम नाम का उद्घोष, हरिनाम संकीर्तन की धुनें, गाजे-बाजे और भजन-कीर्तन के साथ यह पावन यात्रा पुण्य लाभ अर्जित करने के मार्ग पर निरंतर आगे बढ़ रही है।