उत्तर प्रदेशप्रयागराज

एक दिवसीय राष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन

प्रयागराज २७ सितंबर
बीके यादव/बालजी दैनिक

भा.वा.अ.शि.प.- पारिस्थितिक पुनर्स्थापन केन्द्र, प्रयागराज एवं राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत के संयुक्त तत्त्वाधान में हिंदी पखवाड़ा के अन्तर्गत दिनांक 27.09.2024 को “प्रकृति, पर्यावरण एवं वन” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का शुभारम्भ मुख्य अतिथि आचार्य सत्यकाम, कुलपति, उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज तथा मंचासीन गणमान्यों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। केन्द्र प्रमुख डॉ. संजय सिंह ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए बताया कि वैज्ञानिक अनुसंधान को जन सामान्य तक पहुंचाना आवश्यक है जिसके लिए हिंदी उपयुक्त माध्यम है। राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के अधिशासी सचिव डॉ. सन्तोष शुक्ला ने उद्बोधन में अकादमी के द्वारा विज्ञान प्रसार के कार्यों का विस्तार से उल्लेख किया। केन्द्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं आयोजन सचिव डॉ. अनुभा श्रीवास्तव द्वारा कार्यक्रम की रूपरेखा से अवगत कराया गया। विशिष्ट अतिथि अजय कुमार चौधरी, सहायक निदेशक, राजभाषा, भारत सरकार, गाजियाबाद ने कार्यालय में हिंदी के प्रयोग को बढ़ाने का आह्वान किया। मुख्य अतिथि आचार्य सत्यकाम ने हिंदी माध्यम से आयोजित कार्यक्रम की सराहना की तथा अपने उद्बोधन में कहा कि विज्ञान की भाषा को विभिन्न लोक भाषाओं से शब्द आत्मसात करके सरलीकृत करने से ही लाभ होगा। उन्होने कहा कि यदि आपका संस्थान विज्ञान के क्षेत्र में किसी प्रकार की अध्ययन सामग्री तैयार करने का इच्छुक हो, जो विद्यार्थियों के हित में हो तो इसे विश्वविद्यालय के सर्टिफिकेट कोर्स में सम्मिलित किया जा सकता है। केन्द्र द्वारा प्रकाशित यथा-वृक्षारोपण तकनीक, कृषकों की आर्थिक समृद्धि हेतु-चन्दन, कृषिवानिकी में उपयोगी मीलिया डूबिया, कृषकों की आर्थिक समृद्धि हेतु-सहजन की खेती तथा समृद्धि का सतत साधन-महोगनी के साथ कृषिवानिकी प्रजातियाँ एवं प्रबन्धन विषय पर आधारित अनुसंधान पुस्तिका का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन केन्द्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनीता तोमर द्वारा किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. धनंजय चोपड़ा, मीडिया एवं सम्पर्क विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा बदलती दुनिया, बदलती प्रकृति और जन-जागरूकता विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कहा कि भाषा की गतिशीलता को रोकने का प्रयास न किया जाए। प्रथम तकनीकी सत्र में आमंत्रित वक्ता के रूप में डॉ. उमेश कुमार सिंह, पर्यावरण विज्ञान विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा कृषि और मानव स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव विषय पर तथा डॉ. शैलेन्द्र राय, प्रोफेसर, के. बनर्जी, वायुमण्डलीय महासागर अध्ययन केन्द्र, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के द्वारा भारतीय ग्रीष्म कालीन मानसून भविष्यवाणी की चुनौतियां और सम्भावनाएं विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। तकनीकी व्याख्यान में डॉ. मृदुला त्रिपाठी, प्रोफेसर, रसायन विज्ञान विभाग, सीएमपी डिग्री कॉलेज तथा डॉ. पूनम शुक्ला, सहा. प्रोफेसर, हेमवती नन्दन बहुगुणा महाविद्यालय के साथा केन्द्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कुमुद दूबे द्वारा विभिन्न विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। द्वितीय तकनीकी सत्र आमंत्रित वक्ता के रूप में डॉ. अश्वनी कुमार, एसो. प्रोफेसर, वनस्पति विज्ञान विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय तथा डॉ. सत्येन्द्र नाथ, एसो. प्रोफेसर, वानिकी महाविद्यालय, शुआट्स द्वारा व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। तकनीकी व्याख्यान में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनीता तोमर, आलोक यादव एवं डॉ अनुभा श्रीवास्तव के साथ प्रेम कुमार पटेल, डॉ. आदिनाथ, प्रोफेसर, नेहरू ग्राम भारती समविश्वविद्यालय, डॉ. पंकज श्रीवास्तव, सहा. प्रोफेसर, इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के अन्तिम सत्र में विद्यार्थियों यथा उज्जी पुष्प लता, अनूप कुजूर, रूपम दास, महुआ पाल, स्वाती प्रिया, राहुल निषाद, दर्शिता रावत, आशीष कुमार यादव, सत्यव्रत सिंह तथा सांचिली वर्मा आदि शोध छात्रों द्वारा विभिन्न विषयों पर प्रस्तुत सारांश का व्याख्यान दिया गया। संगोष्ठी में 250 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

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