एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

प्रयागराज 17 अक्टूबर
बीके यादव/बालजी दैनिक
साइलिज़ बनाने की नई प्रक्रिया से किसानों को मिलेगा उच्च गुणवत्ता का चारा- डॉ. अनीता तोमर
भा.वा.अ.शि.प.-पारिस्थितिक पुनर्स्थापन केंद्र, प्रयागराज ने ग्रामीणों को साइलिज़ बनाने का प्रशिक्षण का कार्यक्रम गौवंश विकास एवं अनुसंधान केन्द्र, चित्रकूट में केंद्र प्रमुख डॉ. संजय सिंह के मार्गदर्शन में दिनांक 17 अक्टूबर 2024 को आयोजित किया गया। अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना-17 (FODDER) के अंतर्गत ग्रामीणों और पशुपालकों को साइलेज बनाने की प्रक्रिया सिखाई गई, जिससे कृषक सर्दियों और ग्रीष्मकाल में भी अपने पशुओं के लिए पोषक चारा उपलब्ध करा सकेंगे। इस कार्यक्रम के साथ ही, चारा बैंक बनाने की विस्तृत जानकारी दी है। इस कार्यक्रम के साथ ही, पारिस्थितिक पुनर्स्थापन केंद्र ने प्रयागराज के पास सहजन, कचनार, गंभार और अगस्ती के 500 से अधिक पौधा रोपकर, उससे तैयार चारा बैंक की विस्तृत जानकारी दिया। यह चारा बैंक भविष्य में पशुपालकों को हरे चारे की आपूर्ति सालभर करेगा। भा.वा.अ.शि.प. – पारिस्थितिक पुनर्स्थापन केन्द्र, प्रयागराज की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनीता तोमर ने कहा कि साइलो में किण्वन प्रक्रिया फसलों के पोषक तत्वों को बनाए रखने में मदद करती है, जिससे पशुओं के लिए संतुलित आहार सुनिश्चित होता है और यह एक भरोसेमंद, ऊर्जा-समृद्ध चारा स्रोत बनता है। साइलेज में सूखी घास की तुलना में कहीं ज्यादा पौष्टिक तत्व और फीड के मुकाबले कम रसायन होते हैं। वरिष्ठ वैज्ञानिक तथा प्रमुख, डॉ. मनोज त्रिपाठी, दीनदयाल अनुसंधान संस्थान (डीआरआई), चित्रकूट ने जानकारी दी की साइलिज़ पशुओं के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है और इसका उपयोग करने से दुधारू पशुओं के दूध की गुणवत्ता में सुधार होता है। कार्यक्रम में प्रयागराज से आए शोर्थी स्वाति प्रिया, सत्यव्रत सिंह ने साइलेज बनाने के विधि का प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन दिया। क्रार्यक्रम में चित्रकूट से वीरेंद्र प्रजापति, योगेंद्र मिश्रा, देव कुमार विश्वकर्मा एवं अन्य लोग उपस्थित रहे।