स्वर्णिम भारत ज्ञान कुंभ में आयोजित कवि सम्मेलन

प्यार भरी बातें करना ये बात अलग है,
स्वप्निल सौगातो में रहना ये बात अलग है ।
जीवन की कंटकाकिर्ण इन राहों में,
मनचाही मंजिल तय करना, ये बात अलग है ।।
यथार्थवाद को अपनी कविताओं द्वारा व्यंग्यात्मक अंदाज में जन-जन तक पहुंचने वाले प्रयागराज के प्रसिद्ध कवि एवं साहित्यकार डॉ शंभू नाथ त्रिपाठी ‘अंशुल’ ने उपर्युक्त पंक्तियां कुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर-7 में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के पंडाल “स्वर्णिम भारत ज्ञान कुंभ” में आयोजित कवि सम्मेलन के दौरान प्रस्तुत की।
जनकवि ‘प्रकाश’ ने भक्ति रस की कविता- “तिल को बनायो ताड़, राई के समान गिरि।
छन में उतार दियो कंस के गरुर को, धोवन लाग्यो प्रभु पांव जो सुदामा कै तो प्रेम की अधीन जग जानियो हजूर को” से वातावरण को भक्तिमय बनाया।
सम्मेलन में उपस्थित कवित्री राधा शुक्ला ने ‘यह संगम जहां गंगा की धारा मिले यमुना की धारा को,जहां संतों का सत्संग मिले,मुझे जब भी जन्म मिले हर बार यही संगम यही प्रयागराज मिले, पंक्तियों से प्रयागराज की महिमा का और संगम के महत्व का वर्णन किया। वहीं कवि शिवम भगवती ने अपनी प्रस्तुति देते हुए कहा कि हमारी संस्कृति देश से, समाज से प्रेम करना सिखाती है।
कवित्री गरिमा साहू ने नारी शक्ति को अपनी कविता द्वारा प्रस्तुत किया और नारी को श्री लक्ष्मी सरस्वती और दुर्गा जैसी देवियों का रूप बताया।
इस सम्मेलन की शोभा बढ़ाने कवि डॉक्टर राजेंद्र त्रिपाठी, कवि विवेक सुमन ‘राम भरोसे’ , कवि संदीप शुक्ला, कवि सुरेश समेत अन्य प्रख्यात कवि पहुंचे। जिनकी कविताओं में आध्यात्म, भारतीय संस्कृति और प्रयागराज संगम के प्रति श्रद्धा, प्रेम का अथाह सागर उमड़ता हुआ दिखाई दिया।
इस सम्मेलन में आए सभी कवियों का स्वागत लखनऊ से आई बीके सुमन दीदी ने किया जो प्रयागराज की क्षेत्रीय संचालिका बीके मनोरमा दीदी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।
अंत में बीके नीता दीदी ने राजयोग का अभ्यास कराया व सभी कवियों को सम्मानित किया गया।