कवियों ने हास्य-व्यंग्य और कलाकारों ने गीतों से इंद्रधनुष को बनाया सतरंगी
प्रयागराज ०७ दिसंबर
बीके यादव/बालजी दैनिक
राष्ट्रीय शिल्प मेले के अवसर पर सातवे दिन दिन शनिवार को मुक्तकाशी मंच पर कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। शिल्प मेले में कवियों ने हास्य और व्यंग्य के बाण छोड़कर महोत्सव को खूब गुदगुदाया और खुशनुमा बना दिया। कवि सम्मेलन में यश मालवीय ने पढ़ा गंगा के तट पर जगा, ऐसा जीवन राग तन तो काशी हो गया, मन हो गया प्रयाग।।महाकुंभ की गोद में,बच्चों सा उल्लास
सारी जनता लिख रही, लहरों पर इतिहास। लखनऊ से पधारे कवि पंकज प्रसून ने पढ़ा शहर में प्रदूषण चरम पर है संभल जाइये अब बॉडी बनाना छोड़ एंटीबॉडी बनाइए हर गाँव में बिकेगी सब ज़िलों में बिकेगी एक दिन हवा भी यार बोतलों में बिकेगी” प्रयागराज के योगेंद्र मिश्रा ने पढ़ा लड़ते-लड़ते रावणों से राम शायद थक गया है।इसलिए पुरुषार्थ का रथ मध्य पथ में रुक गया है। शास्त्र ज्ञान भी है हमको और शस्त्र वरण कर लेते हैं, विनीत पाण्डेय ने पढ़ा फूल बनकर महक जाना जिंदगी है इसके अलावा कवि शैलेश गौतम ने पढ़ा शास्त्र ज्ञान भी है हमको और शस्त्र वरण कर लेते हैं अभय दान भी दे सकते और प्राण भी हम हर लेते हैं हम भोले से भोले तो हैं किंतु इतना ध्यान रह
अपने दिल की बातें सारी, शैलेन्द्र मधुर ने पढ़ा आ परदेसी तुझे घुमाऊं अपने शहर की गलियों में, नए रंग कुछ तुम्हें मिलेंगे उड़ती हुई तितलियां में, कुंभ यहां पर लगता हैं तो तंबू तनते हैं, यही के पावन जल से सारे तीरथ बनते हैं को सुनाकर प्रयागराज की महिमा को बताया
इसके बाद मनीषा निरखी ने सत्यम सुंदरम, दीपो से सजाया है घाट गंगा मैया तथा सूफ़ी गीत की प्रस्तुति दी इसी क्रम में अनन्या सिंह ने कत्थक नृत्य नाटिका की प्रस्तुति दी