स्कूलों के निजी संचालक कर रहे हैं मनमानी, एनसीईआरटी की नहीं चला रहे हैं किताबें

शिक्षा क्षेत्र तारुन के उच्चाधिकारियों की शह पर हो रहा अभिभावको का शोषण
बलराम मौर्य / बालजी हिन्दी दैनिक
हैदरगंज, अयोध्या। तारुन शिक्षा क्षेत्र में निजी/मान्यता प्राप्त विद्यालयों के प्रबंधकों द्वारा शिक्षा नीति को ताक पर रखकर मनमाना रवैया अपनाया जा रहा है। जिसके चलते अभिभावकों का खुलेआम शोषण हो रहा है। शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारी के लचर रवैया से विद्यालयों के प्रबंधको की चांदी है l उनका साथ देने के लिए खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा न तो किसी विद्यालय पर कार्यवाही नही करते है l जिससे विद्यालय के प्रबंधतंत्र के विरुद्ध कोई कार्यवाही नही की जाती है l मामला शिक्षा क्षेत्र तारुन अंतर्गत खुले सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों का है। गौरतलब है कि अप्रैल माह से नए सत्र की शुरुआत के साथ निजी संचालकों की मनमानी भी शुरू हो गई है। शासन के स्पष्ट आदेश के बावजूद स्कूल एनसीईआरटी की किताबों के बजाय निजी प्रकाशको की किताबें लगवा रहे हैं। यहां विद्यालयों के प्रबंधक कमीशन के लालच मे निजी प्रकाशको से गठजोड़ कर अभिभावकों को विशेष दुकानों से ही किताबें खरीदने के लिए बाध्य कर रहे हैं। इस साल किताबों के दामों में भारी वृद्धि देखी गई है। नर्सरी से कक्षा 3 की किताबें पिछले वर्ष 2200- 2500 रुपये में मिलती थी, जो अब 3000-3500 रुपए हो गए हैं। कक्षा 5 से कक्षा 8 तक की किताबें 5000-7000 रुपए में मिल रही हैं। वहीं स्कूलों द्वारा पढ़ने वाले छात्रों से ली जाने वाली फीस का भी कोई दायरा नहीं है। कुछ विद्यालय में बच्चों की फीस समय से ना जमा होने पर प्रत्येक माह 100 रुपया फीस में फाइन के रूप में जोड़ कर लिया जाता है। जिसके चलते अभिभावकों की परेशानी उनके माथे पर साफ झलक रही है। खंड शिक्षा अधिकारी यशवंत कुमार ने बताया कि स्कूलों में एनसीईआरटी के तहत ही किताबें चलनी चाहिए। फीस के साथ फाइन लेना गलत है। जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।