मस्जिद दुगई तलैया में नमाज-ए-तरावीह मुकम्मल होने पर कार्यक्रम आयोजित

उरई जालौन, बीती रात स्थानीय नगर के टरनंनगंज राजमार्ग स्थित दुंगई तलैया मस्जिद 11 वां रोजा व नमाज-ए-तरावीह 12 दिनों में मुकम्मिल होने पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कारी सलीम खान के द्वारा कुरान पाक मुकम्मल करने पर नमाजियों, रोजगारों तथा अकीदतमंदों ने सम्मान किया।मस्जिद के परिसर में नमाज-ए-तरावीह कारी सलीम खान द्वारा 12 दिन ने मुकम्मल कराई गई। तरावीह मुकम्मल होने के उपरांत आयोजित कार्यक्रम में मस्जिद के सदर खान ने कारी सलीम खान का गुलपोशी कर फूल मालाओं से जोरदार तरीके से सम्मान किया। साथ ही गले लगाकर उनको नमाज-ए-तरावीह मुकम्मल कराने पर मुबारकबाद दी गई। वहीं मस्जिद नूर के सदर ने कारी सलीम खान को कई जरूरी सामान भेंट कर के ईनाम तथा सम्मान से नवाजा गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कारी सलीम खान ने नमाजियों,रोजदारो तथा मौजूद लोगों से कहा कि नमाज-ए-तरावीह मुकम्मल हो जाने का यह मतलब नहीं कि अब तरावीह नहीं पढ़नी है। तरावीह तो पूरे रमजान माह तक पढ़ी जाती है। ऐसे में सभी लोग कल से एक बार फिर नमाज-ए-तरावीह पढ़ें। अगर किसी मस्जिद में नमाज-ए-तरावीह नहीं हो रही है। तो नमाज-ए-सूरह तरावीह पढ़ सकते हैं। फिलहाल नगर की कुछ मस्जिदों पर जहां तरावीह मुकम्मल हो गई है। वहां पर नमाज-ए- सूरह तरावीह का एहतमाम किया जा रहा है। मुफ्ती शहर मौलाना अशफाक अहमद बरकती ने मुकद्दस माह-ए-रमजान के फजीलत पर रोशनी डालते हुए कहा कि माह-ए-रमजान रहमत, बरकत और मगफिरत का महीना है। इस महीने में इस महीने में कुरआन नाजिल हुई और मोमिन को रमजान का तोहफा मिला। उन्होंने कहा कि रमजान के महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। जहन्नुम के दरवाजे बंद कर शैतान को कैद कर दिया जाता है। इसकी हिकमत यह है कि शैतान रोजेदारों के दिलों में वसवसा न डाल सके। ताकि इस मुकद्दस महीने में सभी दिल खोलकर उल्लाह की इबादत कर सकें। इस मौके पर हाफिज शकील, हाफिज जकी, हाफिज इरशाद, मुहम्मद शोएब, सुलेमान सुनार, रहमत खान,
समेत तमाम नमाजियों के अन्य लोग शामिल रहें