अपने गुरु से कुछ नही छिपाना चाहिए- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
महाकुंभ नगर २८ जनवरी
बीके यादव/बालजी दैनिक
मंगलवार की कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने भक्तों को बताया कि प्रत्येक मानव को यज्ञ करना चाहिए, क्योंकि यज्ञ न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग है, बल्कि यह समस्त संसार की उन्नति के लिए भी आवश्यक है।
भजन और कीर्तन के माध्यम से भगवान की भक्ति करनी चाहिए, जिससे आत्मा को शांति और परमात्मा की कृपा प्राप्त होती है।
दूसरों की सेवा और भूखों को अन्न देना हमारे जीवन को सार्थक बनाता है। तीर्थ यात्रा से सभी पापों का नाश होता है। प्रयागराज में एक बार स्नान करने और भगवान का स्मरण करने से समस्त पाप धुल जाते हैं।
हर सनातनी को गौ माता की सेवा के लिए कम से कम ₹101 का योगदान देना चाहिए और सनातन धर्म की सुरक्षा के लिए भी ₹101 अर्पित करना चाहिए। यह हमारे धार्मिक और सामाजिक कर्तव्य हैं, जो समाज में सद्भाव और धर्म के संरक्षण में सहायक होते हैं।
माता-पिता का अनादर करने वाले को भगवान कभी क्षमा नहीं करते। माता-पिता के आशीर्वाद और सेवा से ही मानव जीवन सफल होता है। इसलिए हर व्यक्ति को अपने माता-पिता का सम्मान और उनकी सेवा करनी चाहिए।
सच्चा गुरु वही होता है जो अपने शिष्य की भलाई के लिए कठिनाइयों का सामना करने में भी पीछे न हटे। ऐसे में, शिष्य का कर्तव्य है कि वह गुरु के प्रति पूर्ण विश्वास और ईमानदारी रखे। गुरु से कुछ भी छुपाना, स्वयं को उस दिव्य कृपा से वंचित करना है, जो गुरु के सानिध्य से मिलती है।
“जहां-जहां श्रीराम जी की कथा होती है, वहां-वहां हनुमान जी अवश्य उपस्थित होते हैं।” उनकी भक्ति इतनी गहरी और निश्छल है कि वे हर उस स्थान पर पहुंच जाते हैं, जहां भगवान राम का नाम लिया जाता है या उनकी महिमा का गुणगान किया जाता है।
हनुमान जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चे भक्त हमेशा अपने आराध्य के साथ जुड़े रहते हैं, चाहे वह शारीरिक रूप से हो या आत्मिक रूप से। उनकी भक्ति और सेवा का आदर्श जीवन में प्रेम, त्याग और समर्पण का संदेश देता है।
महाकुंभ में पूज्य महाराज श्री दिव्य कथाओं के माध्यम से हमें धर्म, संस्कृति और आध्यात्मिकता का गहरा बोध कराएंगे।