विचार

सैफ अली खान पर हमले पर उठते सवाल

(राकेश अचल -विभूति फीचर्स)
सैफ अली खान एक अभिनेता हैं इसलिए उनकी हर गतिविधि क्या अभिनय होती है ? ये सवाल हमने-आपने नहीं बल्कि महाराष्ट्र के सियासतदानों ने उठाया है। सैफ पर हमला ही अब सियासी मुद्दा हो गया है। किसी को यकीन ही नहीं हो रहा कि जानलेवा हमले के बाद सैफ मात्र पांच दिन में तंदुरुस्त होकर अपने घर आ सकते हैं। क्योंकि आम आदमी तो कम से कम एक पखवाड़े तक पलंग नहीं छोड़ सकता। आम आदमी में किसी अभिनेता जितनी कूबत ही नहीं होती।
मैं अक्सर कहता हूँ कि हमारे मुल्क में सियासत मुद्दों पर नहीं,हर एक बात पर होती है। और जब होती है तो होती ही चली जाती है। सियासत का ये चरित्र बदलना आसान नहीं है। और इसके लिए किसी एक को जिम्मेदार भी नहीं ठहराया जा सकता। अभिनेता सैफ अली खान की अस्पताल से छुट्टी के बाद प्रदेश सरकार के एक मंत्री नितेश राणे ने सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि सैफ पर हमला संदिग्ध हो सकता है। राणे ने राजनीतिक नेताओं पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए हिंदू कलाकारों की उपेक्षा की बात कही और बढ़ते बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुद्दे पर चिंता जताई ।

सैफ के ऊपर सवाल खड़े करने वाले राणे अकेले नहीं है। शिवसेना नेता संजय निरुपम ने भी एक बड़ा सवाल खड़ा किया है। उन्होंने हमले की घटना का जिक्र करते हुए इतनी जल्दी ठीक होने पर कहा कि सैफ को 16 जनवरी की घटना के बारे में बताना चाहिए। निरुपम भले ही दलबदलू हों किन्तु वे अनुभवी नेता हैं इसलिए उन्होंने अपना सवाल बड़ी ही नजाकत के साथ किया है। निरुपम ने कहा कि 16 जनवरी को सैफ अली खान के साथ जो कुछ भी हुआ, वह बेहद चिंताजनक है। हम उनके परिवार के साथ हैं। सैफ को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है और बाहर वह ऐसे दिखे हैं जैसे वह शूटिंग करने के लिए फिट हैं। यह देखना आश्चर्यजनक है। डॉक्टरों ने कहा था कि चाकू उनकी पीठ में 2.5 इंच तक घुस गया था, जिसके लिए छह घंटे का ऑपरेशन करना पड़ा। चिकित्सकीय रूप से इतनी जल्दी ठीक होना कैसे संभव है ?
सैफ पर हमला पहले ही अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है ,क्योंकि महाराष्ट्र की पुलिस ने सैफ पर हमले के आरोप में जिस आरोपी को पकड़ा है वो संयोग से बांग्लादेशी है। भाजपा के लिए बांग्लादेशी घुसपैठिये चुनावी मुद्दा रहे हैं ।
नेशनल कांफ्रेंस के सदर और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. फारुख अब्दुल्ला ने सैफ के जल्द ठीक होने पर तो कोई बात नहीं की लेकिन उन्होंने सैफ के कथित हमलावर के बहाने पूरे बांग्लादेशियों को अपराधी माने जाने की निंदा की है। उनका कहना है कि किसी एक व्यक्ति की गलती का ठीकरा पूरे देश पर नहीं फोड़ा जा सकता है।
सैफ अली के माता-पिता से इस देश की आधी से अधिक आबादी का जुड़ाव है,और इस जुड़ाव की वजह भी साफ है।सैफ के पिता मंसूर अली खान पटौदी एक बेहतरीन क्रिकेट खिलाड़ी थे और सैफ की माँ शर्मिला टैगौर एक बेहतरीन अदाकारा। इस जोड़ी की अपनी-अपनी उपलब्धियां हैं ,इसमें किसी राजनीतिक दल का कोई योगदान नहीं है। हम जिस पीढ़ी से आते हैं उस पीढ़ी के लिए नवाब पटौदी और शर्मिला टैगौर देश के लिए गर्व का विषय रहे है। पटौदी और टैगौर की संतान सैफ अली और उनकी पत्नी करीना भी देश की एक पीढ़ी में लोकप्रिय अभिनेता रहे हैं,इसलिए कम से कम आम आदमी तो सैफ की रिकवरी को लेकर कोई सवाल नहीं करना चाहेगा लेकिन नेतागण नहीं मानने वाले।
सैफ के लिए एक और बुरी खबर आई है। सैफ अली खान के पटौदी परिवार की 15,000 करोड़ रुपये की संपत्ति सरकार शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत अपने नियंत्रण में ले सकती है। ये संपत्ति मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित है। दरअसल, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला देते हुए 2015 में इन संपत्तियों पर लगायी गयी रोक को हटा दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 के तहत इन संपत्तियों के अधिग्रहण का रास्ता खुल गया है।
इस मामले को सैफ की आने वाली फिल्म “ज्वेलथीफ:द रेड सन चैप्टर” से भी जोड़कर देखा जा रहे है। कहा जा रहा है कि सैफ का अभिनय कैरियर अब ढ़लान पर है और उनकी यह फिल्म आगामी कुछ दिनों में रिलीज होने जा रही है।
बहरहाल हम सियासत के लिए किसी के स्वास्थ्य को हथियार बनाये जाने के खिलाफ है। इस मामले में आप अपने मन से पूछिए ,शायद सही जबाब मिल जाये। क्योंकि सच्चाई से साक्षात्कार कोई सियासी दल,कोई धर्म नहीं करा सकत। दिल ही सच का अहसास करा सकता है।(विभूति फीचर्स)

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