राम कथा हमें सत्य, धर्म, और कर्म के महत्व को समझाती है, – देवकीनंदन ठाकुर
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महाकुंभ नगर ०५ फरवरी
बीके यादव/ बालजी दैनिक
वुधवार को कथा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार और पूज्य बाल योगी अरुण पुरी जी महाराज शामिल होकर व्यासपीठ का आशीर्वाद प्राप्त किया एवं कथा पंडाल में उपस्थित भक्तों को संबोधित किया।
महाराज श्री ने कहा कि राम कथा जीवन को एक दिशा और उद्देश्य प्रदान करती है। यह हमें सत्य, धर्म, और कर्म के महत्व को समझाती है, साथ ही हमारे जीवन को आंतरिक शांति और संतुलन से भर देती है। जैसे घड़ी की सूई अपने निर्धारित समय पर चलती है और सभी भागों का संतुलन बनाए रखती है, ठीक उसी प्रकार परिवार के प्रत्येक सदस्य को अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को समझते हुए सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करना चाहिए। जब सभी सदस्य एक दूसरे के साथ मिलकर अपने-अपने स्थान पर सही कार्य करते हैं, तो परिवार भी सुख-शांति और समृद्धि की ओर अग्रसर होता है।
इस संसार में महिलाओं के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। यदि एक देवी अपने पति के प्रति सच्ची निष्ठा और पतिकर्तव्य में दृढ़ विश्वास रखती है, तो वह संसार की सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली शक्ति बन सकती है। एक पतिव्रता स्त्री का आशीर्वाद और शक्ति अनमोल होती है, जो परिवार, समाज और संसार में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है। उनका संकल्प, प्रेम और समर्पण न केवल उनके परिवार की नींव को मजबूत करता है, बल्कि वे अपने आस-पास के लोगों को भी प्रेरित करती हैं।
फिल्मी दुनिया आजकल हमारी सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को पूरी तरह से बदलने की दिशा में काम कर रही है। बॉलीवुड बच्चों और युवाओं को गलत दिशा दिखा रहा हैं। आजकल फिल्मों में दिखाए जाने वाले गलत मूल्य, समाजिक मुद्दों का गलत चित्रण और नकारात्मक किरदार बच्चों पर गहरा असर डालते हैं। हमारे पारंपरिक संस्कार, नैतिक मूल्य और परिवारिक मूल्य अब फिल्मों में लगभग गायब हो चुके हैं, और इसके स्थान पर असली जीवन से बहुत दूर की बातों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
आज दिल्ली की संसद में भी सनातन बोर्ड की चर्चा हुई है। संसद में यह महत्वपूर्ण विषय उठाया गया और यह सुझाव दिया गया कि देश में सनातन धर्म के संरक्षण के लिए एक विशेष “सनातन बोर्ड” की स्थापना की जानी चाहिए। हमारी आवाज संसद में पहुंच गई है, इसका मतलब है कि हम सही रास्ते पर चल रहे हैं और हम अवश्य सफल होंगे।