Saurabh Bahuguna ने किया कमाल – मत्स्य पालक हुए मालामाल
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मछली पालन में उत्तराखंड को मिली अभूतपूर्व सफलता
प्रमुख सचिव डॉ आर मिनाक्षी सुंदरम ने थपथपाई पीठ
स्वरोज़गार -आर्थिकी बढ़ाने में फिशरीज का योगदान
पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने योजनाओं को पहाड़ से जोड़ा
देहरादून से आशीष तिवारी की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट – देहरादून, 17 फ़रवरी: Saurabh Bahuguna: देवभूमि उत्तराखंड 2025 में जब अपना रजत जयंती वर्ष मना रहा है तो इस सफरनामे में धामी सरकार के साथ ढेरों उपलब्धियां जुड़ती जा रही हैं। देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करने के लक्ष्य को लेकर चल रही राज्य की धामी सरकार के प्रयासो को युवा पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा(Saurabh Bahuguna) और उनकी टीम भी शानदार ऊंचाइयां दे रही हैं। अभी कुछ समय पहले ही इसी कड़ी में एक उपलब्धि तब जुडी थी जब मत्स्य पालन के क्षेत्र में किए गए अभिनव प्रयोगों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया और हिमालयी और उत्तर पूर्व के राज्यों की श्रेणी में उत्तराखंड को सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार मिला था और अब साल के शुरुआत में उत्तराखंड के प्रमुख सचिव डॉ आर मिनाक्षी सुंदरम ने मत्स्य विभाग की सराहना करते हुए बताया कि उत्तराखंड की आर्थिकी और रेवेन्यू में निर्माण के बाद दूसरे नंबर पर मत्स्य पालन विभाग ने अपनी अप्रत्याशित जगह बना ली है जो पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा , मत्स्य पालन विभाग के सचिव डा बीवीआरसी पुरुषोत्तम और फील्ड अफसरों के साथ साथ लाखों मछली पालकों के लिए एक बेहतरीन उपलब्धि बन गयी है।
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना को विभागीय पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा(Saurabh Bahuguna) ने पहाड़ों की लाइफलाइन बना दी है। ऐसा पहली बार दिखाई दे रहा है कि पर्यटन प्रदेश में मछली पालन और फिशरीज सेक्टर ने प्रदेश की आर्थिकी बढ़ाने में अप्रत्याशित भूमिका निभाई है जिसका ज़िक्र खुद प्रदेश के प्रिंसिपल सेक्रेटरी डॉ आर मीनाक्षी सुंदरम ने अपने बयान में किया है। बजट सत्र से पहले प्रमुख सचिव सुंदरम ने बताया कि साल 2024 में प्रदेश की आर्थिकी बढ़ाने में निर्माण कार्यों के बाद दूसरे नंबर पर मिशरीज़ सेक्टर अप्रत्याशित रूप से योगदान दे रहा है।
संकल्प से सिद्धि का मंत्र देता है ऊर्जा – सौरभ बहगुणा(Saurabh Bahuguna)
पर्वतीय प्रदेश में युवाओं , महिलाओं और किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं चला रही हैं. अगर कोई किसान मछली पालन से अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करना चाहता है, तो उसे सब्सिडी दी जा रही है. खास बात ये है कि पहाड़ के लोग ट्राउट मछली पालन से जुड़कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं क्योंकि, ट्राउट मछली के लिए राज्य की भौगोलिक परिस्थितियां बेहतर हैं.इस उपलब्धि में शानदार किरदार निभा रहे पशुपालन मंत्री सौरभ बहगुणा कहते हैं कि प्रधानमंत्री ने इस दशक को उत्तराखंड का दशक बताया तो हमारी ज़िम्मेदारी और भी बढ़ गयी और हमारे ऊर्जावान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद फिशरीज सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए योजनाओं को लेकर काफी गंभीर रहते हैं जिसका सीधा फायदा विभाग के अफसरों पर पड़ा और विभागीय सचिव से लेकर फील्ड अफसर तक सभी के सामूहिक प्रयासों ने आज उत्तराखंड में मछली पालकों की ज़िंदगी में खुशहाली की चमक बिखेरी है।
आइये जानते हैं कैसे पशुपालन विभाग ने मत्स्य पालन में पाई कामयाबी –
मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिये उत्तराखण्ड सरकार के प्रयास
मात्स्यिकी क्षेत्र खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के साथ साथ मत्स्य पालको की आर्थिक समद्धि एवं आत्मनिर्भरता में योगदान दे रहा है। वर्ष 2024-25 में विभाग हेतु कुलरू० 166.26 करोड़ का प्राविधान स्वीकृत किया गया है, जो गत वर्ष की तुलना में 85 प्रतिशत अधिक है।भारत सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का राज्य में संचालन किया जा रहा है, जिसके माध्यम से वर्तमान तक कुल रू० 293.58 करोड़ के विभिन्न लाभार्थीपरक एवं नॉन लाभार्थीपरक प्रोजेक्ट स्वीकृत कराये गये है। प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के अन्तर्गत राज्य स्तरीय इण्टीग्रेटेड एक्वापार्क एवं होलसेल फिश मार्केट के प्रोजेक्ट स्वीकृत कराये गये है, जिनके निर्माण कार्य प्रगति पर है।
“मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना ” ने बदली तस्वीर – सौरभ बहुगुणा(Saurabh Bahuguna), मंत्री
राज्य में मात्स्यिकी क्षेत्र के समुचित विस्तार हेतु पर्वतीय एवं मैदानी क्षेत्रो में सभी वर्गों, युवाओ, महिलाओ को दृष्टिगत रखते हुए मंत्रीमण्डल से नवीन योजना “मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना” स्वीकृत की गयी है। योजना अन्तर्गत राज्य में प्रथम बार महिलाओ हेतु 60 प्रतिशत अनुदान की व्यवस्था तथा महिलाओं हेतु एक विशिष्ट गतिविधि योजना में सम्मिलित की गयी है।”मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना अन्तर्गत आपदाओ से मत्स्य पालको की क्षतिपूर्ति हेतु प्रथम बार बीमा की व्यवस्था भी की गयी है।जनपदों में कलस्टर एप्रोच के आधार पर एक जगह पर न्यून्तम 10 तालाबो का निर्माण प्रारम्भ किया गया है। समतुल्य रूप से कलस्टर आधारित ट्राउट फार्मिंग को प्रसारित किया जा रहा है एवं पर्वतीय क्षेत्रो के दूरस्थ स्थानो में ट्राउट फार्मिंग बेहतर व्यवसाय के रूप में सृजित हुआ है।
विभाग हेतु निर्धारित एस०डी०जी० गोल (जीरो हंगर) की पूर्ति हेतु अपेक्षित कार्यवाहियों की जा रही है जिसमें गत 12 वर्षों अन्तर्गत प्रतिवर्ष लगभग 22 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए वर्तमान समय में 8908 मेट्रिक टन मत्स्य उत्पादन प्राप्त किया जा रहा है।
ट्राउट उत्पादन 10 टन से बढ़कर हुआ 506 मेट्रिक टन
राज्य में ट्राउट उत्पादन को बढ़ावा दिये जाने हेतु मा० मुख्यमंत्री जी द्वारा धनराशि २० 200 करोड की नाबार्ड पोषित योजना की घोषणा माह अगस्त 2024 में की गई है।मत्स्य पालको के समाजिक हितो की सुख्क्षा के दृष्टिगत मा० मुख्यमंत्री जी द्वारा मत्स्य पालको को कृषि की भाँति न्यूनतम दरो पर विद्युत आपूर्ति की सुविधा अनुमन्य करने की घोषणा वर्ष 2023-24 में पूर्ण कर मत्स्य पालको हेतु सुविधा प्रारम्भ कर दी गयी है। कोल्ड चेन के विकास तथा मत्स्य पालको को उनकी मछलियों के उचित मूल्य उपलब्ध कराये जाने हेतु नाबार्ड के माध्यम से राज्य में 03 मत्स्य प्रसंस्करण यूनिटो एवं 02 कोल्ड स्टोरेज यूनिटों के प्रोजेक्ट स्वीकृत कराते हुए निर्माण कार्य अन्तिम चरण में है, जो मत्स्य पालको को मछलियों के विपणन हेतु सहयोग प्रदान करेगी। मत्स्य पालको की सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा हेतु वर्ष में कुल 5147 मत्स्य पालको को दुर्घटना बीमा से आवरित किया गया।
वर्तमान तक 2606 मत्स्य पालको को किसान क्रेडिट कार्ड स्वीकृत
मत्स्य उत्पादन एवं विपणन सेक्टर को सशक्त करने हेतु 00 मत्स्य किसान उत्पादन संगठन (एफ०एफ०पी०ओ०) गठित किये गये है। राज्य में लगभग 210 मत्स्य जीवी सहकारी समिति, 01 ट्राउट महासंघ एवं 01 जिला फैडरेशन सक्रिय है। वर्ष 2024-25 में विभिन्न योजनाओ के संचालन से 1196 ट्राउट रेसवेज यूनिट, 240 हैक्टेयर तालाब निर्माण, 153 आर०ए०एस०/ बायोपलॉक यूनिट, 74 फिश कियॉस्को की स्थापना आदि कार्य किये जायेगे जो रोजगार सृजन के साथ मत्स्य पालको की आय वृद्धि हेतु सहायक होगा। राज्य की नदियों एवं प्राकृतिक जल स्रोतों में मत्स्य संरक्षण एवं एंगलिंग कार्य स्थानीय समुह (महिला मंगलदल/युवा मंगलदल एवं स्थानीय समूह) को बीट आवटन का कार्य किया जा रहा है।
सफलताओं से उत्साहित हैं सचिव डा बीवीआरसी पुरुषोत्तम
विभागीय सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि मत्स्य पालन को आजीविका विकास का महत्वपूर्ण जरिया बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में ट्राउट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है, जबकि मैदानी क्षेत्रों में दूसरी मत्स्य प्रजातियों को। ट्राउट फार्मिंग के लिए 1400 से ज्यादा ट्राउट रेसवेज अब तक बनाए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत ऊधम सिंह नगर जिले में एक्वा पार्क और थोक बाजार भी बन रहा है। स्थानीय मत्स्य पालकों और आइटीबीपी के मध्य मछली आपूर्ति के लिए अनुबंध किया गया है। साथ ही मत्स्य पालकों को कई सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। इन सब प्रयोगों के फलस्वरूप राज्य आज मत्स्य पालन में नई ऊंचाइयां छू रहा है और प्रदेश की समृद्धि में अपना योगदान दे रहा है