महिलाओं वंचित समाज के शिक्षा के लिए सावित्रीबाई फुले ने उठाई थी आवाज – मायाराम वर्मा
रुकुनपुर अंबेडकर पार्क में मनाई गई माता सावित्रीबाई फुले की जयंती
अशोक कुमार वर्मा/ बालजी दैनिक
बीकापुर, अयोध्या। भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की रुकुनपुर पातूपुर अंबेडकर पार्क में उनके चित्र पर माल्यार्पण कर उनके जीवन परिचय पर प्रकाश डालते हुए जयंती मनाया गया है। मायाराम वर्मा पूर्व अध्यक्ष नगर पंचायत बीकापुर अपने संबोधन में कहा सावित्रीबाई फुले न सिर्फ पहली महिला शिक्षिका थी, बल्कि महान समाजसेविका और नारी मुक्ति आंदोलन की प्रणेता भी थीं। उनका पूरा जीवन समाज के वंचित तबके खासकर महिलाओं और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष में बीता। उनका नाम आते ही सबसे पहले शिक्षा और समाज सुधार के क्षेत्र में उनका योगदान हमारे सामने आता है। वे हमेशा महिलाओं और वंचितों की शिक्षा के लिए जोरदार तरीके से आवाज उठाती रहीं। वे अपने समय से बहुत आगे थीं और उन गलत प्रथाओं के विरोध में हमेशा मुखर रहीं। शिक्षा से समाज के सशक्तिकरण पर उनका गहरा विश्वास था। सावित्रीबाई फुले एक महान समाज सुधारक, दार्शनिक,कवयित्री और शिक्षाविद् भी थीं। उनके पति ज्योतिराव फुले भी एक प्रसिद्ध चिंतक और लेखक थे। जब महाराष्ट्र में अकाल पड़ा तो सावित्रीबाई और महात्मा फुले ने जरूरतमंदों की मदद के लिए अपने घरों के दरवाजे खोल दिए थे। सामाजिक न्याय का ऐसा उदाहरण विरले ही देखने को मिलता है। जब वहां प्लेग का भय व्याप्त था तो उन्होंने खुद को लोगों की सेवा में झोंक दिया। इस दौरान वे खुद इस बीमारी की चपेट में आ गईं। मानवता को समर्पित उनका जीवन आज भी हम सभी को प्रेरित कर रहा है छोटे से गांव नयागांव में 3 जनवरी 1831 को हुआ था। आज का दिन उनके संघर्ष और महान कार्यों को यादकर उन्हें श्रद्धांजलि देने का दिन है । इस मौके पर अरुण कुमार भारती गुरु प्रसाद आशीष पटेल, लालमणि निषाद मनीराम पाल, राम अभिलाख कोरी, राम जीत , बृजलाल, रवि, भैया राम, परशुराम निषाद अमरनाथ आदि लोगों ने सावित्रीबाई फुले के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया।