उत्तर प्रदेशप्रयागराज

Security for Kumbh: अमेरिकन इंग्लैण्ड के घोड़े करेंगे कुंभ की सुरक्षा

अमेरिकन बाम ब्लड, इंग्लैंड का थ्रो नस्ल का घोड़ा खरीदा गया

Security for Kumbh: कुम्भ नगर से प्रियांशु द्विवेदी की रिपोर्ट –

ब्यूरो रिपोर्ट, 30 दिसंबर: Security for Kumbh: ब्रिटिश शासनकाल से कानून व्यवस्था को मजबूत करने में घोड़े अहम भूमिका निभाते आए हैं। अंग्रेजों के शासनकाल में ही भारत में घुड़सवार पुलिस की बुनियाद रखी गई। क्रांतिकारियों के खिलाफ अंग्रेज अफसर अक्सर घुड़सवार पुलिस का इस्तेमाल किया करते थे। अंग्रेज से चले गए पर घुड़सवार पुलिस के साथ ही बेजोड़ थ्री-नाट-थ्री राइफल भारत को दे गए, जो आजादी के बाद से आमलोगों की सुरक्षा की गारंटी बने रहे। अगर यूपी की बात करें तो योगी सरकार ने थ्री-नाट-थ्री राइफल को थानों से हटा दिया। वहीं 1998 से बंद घुड़सवार पुलिस की भर्ती कर इस फोर्स में जान डाल दी। अब यही घुड़सवार पुलिस दुनिया के सबसे बड़े मेले महाकुंभ में भक्तों की सुरक्षा को लेकर फुल एक्टिव है।

अंग्रेजों ने रखी थी घुड़सवार पुलिस की नीव

ब्रिटिशकालीन भारत में अपराध की रोकथाम और नियमित गश्त के लिए घुड़सावर पुलिस का इस्तेमाल काफी होता था। घोड़ों पर सवार पुलिसकर्मी अतिरिक्त ऊंचाई होने की वजह से भीड़-भाड़ वाले इलाकों में भी अच्छे से निगरानी करते थे। अधिकारियों के आदेश पर वे एक व्यापक क्षेत्र में निरीक्षण और निगरानी का काम करते थे, जिससे अपराध रोकने में मदद मिलती थी। जरूरत पड़ने पर वे लोगों और अधिकारियों को भी आसानी से खोज लेते थे। कई तरह के फायदे के बावजूद घुड़सवार पुलिस(Security for Kumbh) के सामने एक बड़ा जोखिम यह रहता है कि जब कहीं भीड़ नियंत्रण के लिए घुड़सवार पुलिस कार्रवाई करती है, तो ऐसे में कुछ लोगों के कुचले जाने का डर बना रहता है। क्योंकि उसकी वजह से किसी इंसान को गंभीर चोट लग सकती है या उसकी मौत भी हो सकती है।

Security for Kumbh
Security for Kumbh

20वीं सदी में घुड़सवार पुलिस बनी जरूरत

ऐसा माना जाता है कि फ्रांस में 18वीं सदी के दौरान फ्रेंच मारेचैसी के आस-पास ऐसी कांस्टेबुलरी बनी थी। जानकारी के मुताबिक खराब सड़कों और व्यापक ग्रामीण क्षेत्रों में निगरानी करने और अपराध रोकने के मकसद से 20वीं सदी की शुरुआत में ही घुड़सवार पुलिस यूरोपीय राज्यों में एक बड़ी जरुरत बन गई थी। इसके बाद औपनिवेशिक और उत्तर-औपनिवेशिक युग के दौरान पूरे अफ्रीका, एशिया और अमेरिका में संगठित कानून-प्रवर्तन निकायों की स्थापना के साथ ही घुड़सवार पुलिस को लगभग पूरी दुनिया में अपनाया गया। जिसमें रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस, मैक्सिकन रूरल पुलिस, ब्रिटिश दक्षिण अफ्रीकी पुलिस, तुर्कीध्साइप्रस और कैबेलेरिया पुलिस की घुड़सवार शाखा के साथ-साथ स्पेन के होम गार्ड भी शामिल थे, जो गश्त और निगरानी के लिए घोड़ों का इस्तेमाल करते थे।

महाकुंभ में लगाई गई घुड़सवार पुलिस

महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा। महाकुंभ में जमीन से लेकर आसमान तक, नदी में नाव तो आसमान में ड्रोन से पहरेदारी होगी। मेले में घुड़सवार पुलिस लगातार निगरानी करेंगे। सुरक्षा व्यवस्था जितना हाइटेक किया जा रहा है उतना ही परंपरागत तरीके से सुरक्षा व्यवस्था को संभाला जा रहा है। जिसके लिए महाकुंभ में कई नस्ल के घोड़े मंगाए गए हैं। मारवाड़ी, काठियावाड़ी से लेकर इंग्लैंड और अमेरिका के घोड़े(Security for Kumbh) भी शामिल हैं. इन घोड़ों को स्तबल में परीक्षण दिया जा रहा है। इन घोड़ों को भीड़ नियंत्रण के लिए ट्रेंड किया जा रहा है। मेले की ड्यूटी में तैनात घोड़ों के डाइट का और उनकी चिकित्सकीय सुविधा का खास ध्यान रखा जा रहा।

विदेशों से मंगवाए गए घोड़े

महाकुंभ मेले के लिए सेना से अमेरिकन बाम ब्लड, इंग्लैंड का थ्रो नस्ल का घोड़ा खरीदा गया है। इसके अलावा भारतीय नस्ल के घोड़े भी हैं, इनमें से कुछ घोड़े सेना से भी खरीदे गए हैं। जिन्हें विशेष तरीके से ट्रेंड किया गया है। घोड़ों को मुरादाबाद और सीतापुर ट्रेंनिंग सेंटर में प्रशिक्षित किया गया है। बता दें कि घोड़ों को रोजाना महाकुम्भ मेला क्षेत्र की भौगोलिक स्थितियों से परिचय कराने के लिए घुड़सवार पुलिस सुबह और शाम मेला क्षेत्र में गस्त पर निकलती है। घोड़ों के लिए तीन पशु चिकित्सक भी नियुक्त किए गए हैं। महाकुंभ मेले में 130 घोड़े तैनात किए गए हैं। 131 घुड़सवार पुलिस को तैनात किया गया है। जिसमें इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल शामिल हैं. घोड़ों की सेवा में अन्य 35 स्टाफ की भी ड्यूटी लगाई गई है।

थ्री नाॅट थ्री थी को किया गया रिटायर

पुलिस विभाग का पुलिस डे हो या फिर विभाग से जुड़ा कोई कार्यक्रम पुलिस परेड के लिए सजाये गए मैदान में थ्री नॉट थ्री राइफल सीना ताने खड़ी नजर आती थीं। यूपी पुलिस का 78 साल तक साथ देने वाली थ्री नॉट थ्री राइफल को 26 जनवरी 2020 को परेड के बाद विदाई दे दी गयी थी। इस राइफल का इस्तेमाल सबसे पहले 1914 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान किया गया था। 1945 में पहली बार थ्री नॉट थ्री राइफल यूपी पुलिस को मिली थी। इन राइफल्स का असली नाम ली एनफील्ड था। इस राइफल को सबसे पहले ब्रिटिश आर्मी ने इस्तेमाल करना शुरू किया था।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button