उत्तर प्रदेशप्रयागराज

रामचरितमानस में प्रयागराज की महिमा पर संगोष्ठी का आयोजन

महाकुंभ नगर २१ फरवरी
बीके यादव/ बालजी दैनिक

हिन्दुस्तानी एकेडेमी उत्तर प्रदेश प्रयागराज के तत्वावधान में कुम्भनगर के सेक्टर 1 में “श्रीरामचरितमानस में प्रयागराज की महिमा” पर संगोष्ठी आयोजित की गयी।
इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ शिखा दरबारी
पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त, प्रयागराज, ने कहा कि प्रयाग को एक चलता फिरता संत समाज माना गया है और प्रयाग से संबंधित सभी महत्त्वपूर्ण स्थानों का वर्णन रामचरितमानस में मिलता है। यहाँ की बहने वाली गंगा की धारा को रामभक्ति से जोड़ा गया है और महादेव एवं नारायण की कथाओं को त्रिवेणी माना गया है। यह माना जाता है कि जो इस संत समाज रूपी तीर्थराज का महत्व समझते हैं और उसमें गोते लगाते हैं वो इस शरीर के रहते हुए ही धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष को प्राप्त कर लेते हैं।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता लेखक एवं साहित्यकार डॉ अरुण कुमार त्रिपाठी ने प्रयाग की महिमा बताते हुए कहा कि यहीं पर भारद्वाज मुनि ने ऋषि याज्ञवल्क्यजी से रुक कर राम कथा कहने के लिये कहा था।यहीं से श्रृंगवेरपुर पर केवट द्वारा गंगा पार करके रामजी चित्रकूट पहुँचे थे।रामचरितमानस में प्रयाग के अक्षयवत, बेनीमाधव एवं माघ महीने में कल्पवासियों का भी वर्णन मिलता है। रामचरितमानस में वर्णन है कि माता सीता गंगा जी को पार करते समय उनकी पूजा की थी और वन गमन से पति और देवर के साथ लौटने पर पूजा करने की मनौती मानी थी।

डॉ देवी प्रसाद तिवारी, रिसर्च फैलो , गोविंद वल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान, प्रयागराज ने बताया की गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में राम वन गमन के समय प्रभु राम जिन जिन मार्गो से प्रयागराज से आगे गए थे उनका बहुत सुंदर वर्णन किया है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता दिव्य ब्रह्मचारीजी ने की।उन्होंने राम नाम की महिमा पर प्रकाश डालते हुए बताया की प्रभु राम वांगमन के समय गंगा में अब वहां करने के पश्चात पार्थिव शिवलिंग पर जलाभिषेक किया था। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन एवं अतिथियों का स्वागत एकेडमी के संतोष तिवारी ने किया।
इस गोष्ठी में मुंबई से आये हुए श्री महिंद्र एवं कल्पना केवलरमानी, नॉर्थमैटिक कैपिटल के संस्थापक तथा श्रीमती वंदना अरोड़ा, सीनियर वाईस प्रेसिडेंट, एचडीएफसी बैंक ने भी सहभागिता की।

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