शिश्माही (छमाही) उर्स-ए-शराफ़ती व उर्स-ए-सक़लैनी

बरेली । 11 रमज़ान उल मुबारक बरोज़ बुध हज़रत क़िबला शाह मौलाना शराफ़त अली मियाँ रह. का 58 वाँ उर्स और पीरो मुर्शिद शाह मोहम्मद सक़लैन मियाँ हुज़ूर का दूसरा शिश्माही (छमाही) आख़िरी दिन की शुरुआत सुबह क़ुरआन ख़्वानी से हुई।
उर्स में शिरकत करने के लिए देश के कई राज्यों जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, उड़ीसा, उत्तराखंड, पंजाब, झारखंड, दिल्ली व उत्तर प्रदेश आदि राज्यों के शहरों व गाँव कस्बों से बड़ी तादाद में ज़ायरीन आए।
दरगाह शरीफ़ पर सुबह से रात तक ज़ायरीन की हाज़िरी का तांता बंधा रहा और मज़ार-ए-पाक पर गुल पोशी इत्र पोशी के सिलसिले के साथ अक़ीदतमंद अपनी मुरादों से दामनों को भरते रहे।
शाम को बाद नमाज़ अस्र 5:30 बजे दरगाह शरीफ़ पर कुल शरीफ़ की फ़ातिहा की गई, कुल की रस्म सज्जादनाशीन हज़रत ग़ाज़ी मियाँ और हाफ़िज़ ग़ुलाम ग़ौस सकलैनी ने अदा की।
कुल शरीफ़ के बाद दरगाह के मेहमान खाने में अक़ीदतमंदों को रोज़ा इफ़्तार कराया गया, एक साथ सफ़ों में बैठकर हज़ारों रोज़ेदारों ने रोज़ा इफ़्तार किया और लंगर का भी खूब लुत्फ़ लिया।
दरगाह शरीफ़ के सज्जादा नशीन हज़रत ग़ाज़ी मियाँ हुज़ूर की सरपरस्ती में उर्स मनाया गया और तमाम अक़ीदतमद ओ मुरीदीन आपसे मिलकर अपने हक़ में दुआएँ हासिल कर अपने-अपने घरों को रुख़सत हुए ।