हास-परिहास

आत्महत्या

(प्रेमप्रसंग)

 

आत्महत्या का मुख्य कारण बनता जा रहा है प्रेम प्रसंग का विवाह में तब्दील न हो पाना
15 से 39 वर्ष के युवाओं में आत्महत्या की दर सर्वाधिक
परिजन युवाओं से मित्रवत व्यवहार करे

आत्महत्या
आये दिन सुनने, पढ़ने ,देखने में आता है की नवयुवक ,नवयुवती ने की खुदकुशी ।
आत्महत्या के आंकड़े दिनो दिन बढ़ते जा रहे है ।
मृत्यु यदि निम्नलिखित तीन मानदंडों को पूरा करती है तो भारत सरकार आत्महत्या के रूप में वर्गीकृत करती है
वह एक अप्राकृतिक मृत्यु हो,
मरने का इरादा व्यक्ति के भीतर उत्पन्न हुआ हो,
व्यक्ति के जीवन को समाप्त करने का एक कारण हो। कारण एक सुसाइड नोट या अनिर्दिष्ट में निर्दिष्ट किया गया हो सकता है।
यदि इन मानदंडों में से एक भी नहीं होता है, तो मृत्यु को बीमारी, हत्या या किसी अन्य सांख्यिकीय के कारण मृत्यु के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
भारत सरकार के आधिकारिक आंकड़ों ने एक ही वर्ष में 134,600 आत्महत्याओं का दावा किया है ।
आत्महत्या करने के विभिन्न कारण दिवालियापन या ऋणग्रस्तता ,विवाह संबंधी मुद्दे,
विवाह के गैर-निपटान सहित
दहेज संबंधी मुद्दे सहित
विवाहेतर संबंध सहित
तलाक सहित
परीक्षा में असफल
नपुंसकता / बांझपन
परिवार की अन्य समस्याएं
बीमारी ,
प्रिय व्यक्ति की मृत्यु
नशीली दवाओं का दुरुपयोग / लत सामाजिक प्रतिष्ठा में गिरावट वैचारिक कारण / नायक पूजा प्रेम संबंधों दरिद्रता बेरोजगारी संपत्ति विवाद,संदिग्ध / अवैध संबंध,अवैध गर्भावस्था ,शारीरिक शोषण (बलात्कार, आदि) पेशेवर / कैरियर समस्या आदि आत्महत्या के मुख्य कारण है ।2016 में भारत में आत्महत्या करने वालों की संख्या में 230,314 की वृद्धि हुई। आत्महत्या 15-29 और 15-39 वर्ष दोनों आयु वर्ग में मृत्यु का सबसे आम कारण था ।
युवाओं में आत्महत्या का मुख्य कारण प्रेम प्रसंग का विवाह में तब्दील न हो पाना है ।
अंतर जातीय प्रेम प्रसंग होने से परिवारजन स्वीकृति नहीं देते है प्रेमी युगल मजबूरन आत्महत्या कर लेते है जीवन लीला समाप्त कर लेते है परिवारजनों को असीम दुख दे जाते है ।
जिस इज्जत के कारण परिवारजन प्रेम विवाह की स्वीकृति नहीं देते है उनके द्वारा आत्महत्या कर लेने के बाद आसपास के लोग कहते है करवा देते शादी क्या रखा जातीय भेदभाव में,परिवारजनों को इज्जत से हाथ धोना पड़ता है साथ ही अपने जिगर के टुकड़ों को खोने का दर्द नासूर बन जाता है ।
दूसरी तरफ युवा अपने प्यार को पाने के लिए कोशिश तक नहीं करते घर वालों से डर के मारे बात नही करते ,भागकर शादी करेंगे तो घर वालों की इज्जत पर दाग लगेगा सोचकर गलत कदम उठा लेते है मौत को गले लगा लेते है । या घर वालों की मर्जी से अरेंज मैरिज कर लेते है,घुट घुटकर जीते है ,आए दिन कलह , तलाक या फिर आत्महत्या करते है ।
अगर इस प्रकार की आत्महत्याओं को रोकना है तो हम सबको प्रयास करना पड़ेगा परिजनों को रूढ़िवादिता त्यागनी होंगी ,बच्चों से मित्रवत व्यवहार करना होगा ,उनकी संगत पर नजर रखनी होगी ,उनकी पसंद नापसंद का ध्यान रखना होगा ,दबाव डालकर , इमोशनली प्रेशर से उनके विवाह संबध नही करने चाहिए ।
जहां तक अंतर जातीय विवाह की बात है आधुनिक युग में सामान्य बात है इज्जत कि दलील देकर बच्चों की खुशी का गला न घोटे ,अगर जीवन साथी उसके लायक है तो अनुमति प्रदान करे ।
वरना कही आपके स्टेटस के चक्कर में बच्चे को हमेशा के लिए खो सकते है ।
प्रेम से बैठकर बात करे ।
स्टेनले हॉल ने किशोरावस्था को तूफान की अवस्था कहा है ।
ये नाजुक अवस्था है युवा कुछ भी कर गुजर सकते है ।
युवाओं को चाहिए की वो अपने परिजनों को सर्वोच्च मान दे ।
संस्कारों का निर्वहन करे ।अगर किसी से प्यार है तो घर वालों से बात करे साथी के बारे में बताए परिजन आपको सदा खुश देखना चाहते है ।
घर वालों से डर ,इज्जत बचाने के चक्कर में आत्म्हत्या जैसा घोर पाप कभी न करे ।
आत्महत्या कायरता का प्रतीक है
प्यार जीना सीखाता है मरना नहीं ।आपके द्वारा आत्महत्या करने से पूरा परिवार बरबाद हो जाएंगा ,कलंक के भागी बनेंगे ।
मरने से अच्छा है प्यार को पाने की कोशिश करे ,घर वालों की इज्जत बचाने के चक्कर में तीसरे व्यक्ति की जिंदगी खराब न करे ।
कुल मिलाकर जनरेशन गैप को समझना होगा एक दूसरे की भावना को समझना होगा ।
प्रेम प्रसंग सफल न होने का पछतावा जीवन भर रहता है ।कई समस्याओं को जन्म देता है ।
अगर विवाह करना संभव न हो सके तो अगले की खुशी का ख्याल रखे लेकिन किसी भी कीमत पर आत्महत्या जैसा गलत कदम ना उठाए ।
ताली दो हाथ से बजती है अतः परिवारजनों और युवाओं को सोच समझकर जीवन में आगे बढ़ना है आत्महत्याओं पर लगाम लगानी है ।

कुछ भी हो,आत्महत्या करना नही ।
प्यार तो जीना सीखाता है ,मरना नहीं ।।

संकलनकर्ता
लेखक नवीन जैन नव

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